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झाबुआ जिले को आदिवासी पिछड़े जिले में माना जाता था, अब यहां खासकर महिलाएं इस आदिवासी संस्कृति को बचाने में जुटीं है. इन महिलाओं ने झाबुआ की गुड़िया को बनाकर जहां कल्चर को बचाया वहीं रोजगार का जरिया बना लिया.
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