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दादा साहेब फ़ाल्के के निर्देशन में बनी इस फिल्म को परदे तक लाने के लिए सरस्वती बाई फ़ाल्के का हाथ हैं. भारत की सबसे पहली फिल्म बनाने के लिए दादा साहेब को जितनी मदद उनकी पत्नी से मिली उतनी मदद शायद ही कोई और कर पाता.
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