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सुरता देवी ने डिजिटल तकनीक और अपने गांव की दूरी को किया कम. डीजीपे सखी बन दी ई-गवर्नेंस सेवाएं, फ्री कंप्यूटर ट्रेनिंग, और किया डीजीपे के ज़रिये 40 से 50 लाख रुपये का मासिक लेनदेन.
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