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सत्यलक्ष्मी उनके गांव में चल रहे हरिता स्वयं सहायता सोसायटी की सदस्य बनी. ग्रामीण गरीबी उन्मूलन संगठन से सहायता मिली. बैंक लिंकेज से रु. 3 लाख, स्त्रीनिधि से रु. 1.15 लाख की ऋण सुविधा हासिल हुई. इस समर्थन ने सत्यलक्ष्मी के हुनर और रोज़गार को नई दिशा दी.
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