स्वयं सहायता समूह (SHG) ने कई महिलाओ को अपनी कला को रोज़गार का ज़रिया बनाने और उद्यम शुरू करने में मदद की है. ऐसी ही एक कहानी है सत्यलक्ष्मी की. तेलंगाना (Telangana) के जनगामा जिले के देवरुप्पुला मंडल की सत्यलक्ष्मी (Satylakshmi) तीन करघों (handloom) पर काम करती थी. पैसे की कमी की वजह से उनके लिए कच्चा माल लाना मुश्किल हो गया.
स्वयं सहायता समूह की मदद से बढ़ाया रोज़गार
उन्होंने स्वयं सहायता समूह (self help group) की सदस्य बनकर आर्थिक समस्याओं (financial challenges) को दूर किया. सत्यलक्ष्मी उनके गांव में चल रहे हरिता स्वयं सहायता सोसायटी (Harita Self Help Society) की सदस्य बनी. ग्रामीण गरीबी उन्मूलन संगठन (SERP) से सहायता मिली. बैंक लिंकेज (bank linkage) से रु. 3 लाख, स्त्री निधि (Stree Nidhi) से रु. 1.15 लाख की ऋण सुविधा हासिल हुई. इस समर्थन ने सत्यलक्ष्मी के हुनर और रोज़गार को नई दिशा दी.
Ikat Sarees (Image Credits:Exporters India)
सत्यलक्ष्मी ने साड़ियां (handloom saree weaving) बनाने के लिए जरूरी कच्चा माल खरीदा. पोचमपल्ली (Pochampalli), इकत (Ikat saree), मद्दिकाया (Maddikaya saree) और फुल डिजाइन साड़ियां (full design sarees) बनाईं. उनकी साड़ियों ने लोकप्रियता हासिल की. ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) ने उनके प्रयास को पहचाना और उन्हें प्रोत्साहित भी किया. ग्रामीण विकास मंत्रालय की मदद से कई राज्यों में प्रदर्शनियों में स्टॉल लगाईं.
सरस प्रदर्शनियों के ज़रिये बेची साड़ियां
जहां भी सरकार द्वारा आयोजित सरस (SARAS Mela) प्रदर्शनी लगती है, वहां तेलंगाना की सत्यालक्ष्मी का स्टॉल ज़रूर होता है. हाथ से बुनी साड़ियों (handwoven sarees) को वह दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्यों में बेच चुकी है. यह सुंदर साड़ियां बनाकर सत्यलक्ष्मी ने न सिर्फ आजीविका कमाई, बल्कि स्थानीय कला को भी लोकप्रिय बनाया है. \
Pochampalli Sarees (Image Credits:LBB)
सत्यलक्ष्मी की प्रतिभा और मेहनत को पहचानते हुए तेलंगाना सरकार ने उन्हें 2022 में श्रमशक्ति पुरस्कार (Shramshakti Award) से सम्मानित किया. उनकी बनाई साड़ियां आज आसपास के राज्यों में भी फेमस हो चुकी है. सत्यलक्ष्मी ने साबित किया कि मुश्किलों से जीतकर सपने पूरे किये जा सकते हैं.