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अपने ससुराल में महिला के पास न खेती के लिए ज़मीन और न ही कमाई का कोई साधन था. केवल मजदूरी के भरोसे ज़िंदगी कट रही थी.समूह से जुड़ कर सपने साकार हुए और सम्मान की ज़िंदगी मिल गई.
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