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गोपीनाथ का मानना है कि लैंगिक समानता समावेशी और मजबूत वैश्विक आर्थिक विकास की ओर ले जा सकती है. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि श्रम बाजार में लैंगिक समानता राष्ट्रीय आय को बढ़ाने में लाभदायक साबित हो सकती है.
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