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स्वतंत्रता संग्राम का अपने शब्दों की ताकत से समर्थन करने वाली सुभद्रा ने महिलाओं की आज़ादी और उनके अधिकार का भी समर्थन किया. उन्हें उस समय का फेमिनिस्ट आइकॉन माना गया. उनका नारीवाद वीर रस और वात्सल्य रस से भरपूर था.
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