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सबसे पिछड़े समझे जाने वाले खालवा की गायत्री जैसी पच्चीस से ज्यादा इन लड़कियों ने साबित कर दिया कि वो किसी छोरे से कम ना है। प्रदेश का सबसे अलग ये गैराज सिर्फ लड़कियां संभाल रही हैं। इन तानों और विरोध ने गांव की बेटियों के आत्मविश्वास को और मजबूत कर दिया।
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