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सुबह से देर रात तक केवल और केवल पानी की बूंद-बूंद जुटाते देख बबिता ने कुछ करने की ठानी. जब उसने पहाड़ काट कर नहर बनाने की बात की तो ग्रामीणों ने बबिता के पिता को कहा - " तेरी बेटी को समझा. वह पागल हो गई." पर बबिता को तो धुन सवार थी.
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