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1970 से एक ऐसी क्रांति की आग धीमी लौ पर सुलग रही थी जिसकी गर्माहट को तथाकथित मुख्यधारा महसूस नहीं कर पाई. यह कोई राजनीतिक क्रांति नही बल्कि एक ऐसा सामाजिक आर्थिक इंक़लाब है जो नए भारत की तस्वीर बदलने की ताकत रखता है. यह ताकत है स्वयं सहायता समूहों की.
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