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उस वक़्त चिंताओं का पहाड़ टूट पड़ा जब पता चला कि वो फैक्ट्री बंद हो गई है जहां उनके पति काम किया करते थे. आखिर उनका स्वयं सहायता समूह ही पहचान बना. जब पति भी समूह में काम करने को तैयार हुए तब सब के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई.
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