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बात ग्रामीण महिलाओं की हो और स्वयं सहायता समूह का ज़िक्र ना आए यह मुमकिन नहीं. ग्रामीण नारीवाद शहरी नारीवाद से थोड़ा अलग दिखाई दे सकता है. लेकिन वह फ़र्क सिर्फ़ सतही है. मूल रूप से दोनों ही परिवेशों में ज़ोर women empowerment पर ही है.
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