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अंबेडकर ने महिलाओं के साथ भेद-भाव करने वाले पारंपरिक और रूढ़िवादी मूल्यों की आलोचना की. उन्होंने व्यक्तिगत और व्यावसायिक क्षेत्रों में महिलाओं की समान भागीदारी की वकालत की और संविधान की रूपरेखा में महिलाओं के अधिकारों को जगह दी.
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