आज़ाद भारत में Ambedkar ने रखी Gender Equality की नींव

अंबेडकर ने महिलाओं के साथ भेद-भाव करने वाले पारंपरिक और रूढ़िवादी मूल्यों की आलोचना की. उन्होंने व्यक्तिगत और व्यावसायिक क्षेत्रों में महिलाओं की समान भागीदारी की वकालत की और संविधान की रूपरेखा में महिलाओं के अधिकारों को जगह दी.

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मिस्बाह
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"मैं किसी समुदाय की प्रगति को महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति की डिग्री से मापता हूं."

डॉ. बी आर अंबेडकर ने 1927 में 3 हज़ार से ज़्यादा महिलाओं की सभा को संबोधित करते हुए कहा. 

Father of Indian Constitution Dr BR Ambedkar ने Gender Equality को दिया बढ़ावा 

Dr Bhimrao Ramji Ambedkar भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे, जिन्हें Father of Indian Constitution के नाम से जाना गया. 

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अंबेडकर ने महिलाओं के साथ भेद-भाव करने वाले पारंपरिक और रूढ़िवादी मूल्यों की आलोचना की. उनका मानना ​​था कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा मिलना चाहिए. उन्होंने व्यक्तिगत और व्यावसायिक क्षेत्रों में महिलाओं की समान भागीदारी की वकालत की और संविधान (makers of indian constitution) की रूपरेखा में महिलाओं के अधिकारों को जगह दी.

Mines Maternity Benefit Act और Hindu code Bill से महिलाओं को मिले अधिकार 

1936 ने एक भाषण में, जोगिनी और देवदासी समुदायों को - जो आमतौर पर दलित समुदाय से थे - अंबेडकर ने इन महिलाओं से भेदभाव करने वाली धार्मिक प्रथाओं से लड़ने का आग्रह किया. उन्हें मंदिरों में देवताओं को युवतियों को सौंपकर उन्हें "समुदाय के सदस्यों के लिए यौन रूप से उपलब्ध होने" के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए कहा.

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Mines Maternity Benefit Act को कारखानों में काम करने वाली महिलाओं के लिए समान वेतन और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया. इस कानून ने Maternity Leave की मांग की और महिलाओं को श्रम कानूनों के तहत सुरक्षा प्रदान करवाई, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं में लैंगिक समानता के लिए अंबेडकर के प्रयासों को दर्शाता है.

अंबेडकर ने Hindu code bill में परिवर्तन किया , जिसका उद्देश्य हिंदू समाज को आधुनिक बनाना और कानूनी प्रणाली के भीतर महिलाओं के अधिकारों को जगह देना था. उनके द्वारा प्रस्तुत हिंदू कोड बिल ने हिंदू समाज के भीतर संपत्ति प्रथाओं, रखरखाव, विवाह, तलाक और गोद लेने जैसे मुद्दों को संबोधित किया. इस नई कानूनी प्रणाली के ज़रिये महिलाओं को उनके अधिकारों तक पूर्ण पहुंच मिल सकी.

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'मूक नायक' और 'बहिष्कृत भारत' में लिखे महिला-केंद्रित लेख 

उन्होंने महिला उत्पीड़न पर विस्तार से लिखा और 'मूक नायक' और 'बहिष्कृत भारत' जैसे समाचार पत्रों की स्थापना की, जिनमें विशेष रूप से महिला-केंद्रित मुद्दों को कवर किया गया.

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इसके अलावा, ब्रिटिश भारत के पहले भारतीय कानून मंत्री के रूप में, अंबेडकर ने महिलाओं के लिए परिवार नियोजन उपायों पर जोर दिया, और यूनिवर्सल एडल्ट मताधिकार (universal adult franchise) के अधिनियमन को लागू किया, जिससे महिलाओं और कई अल्पसंख्यकों और हाशिए के लोगों के लिए मतदान के अधिकार को वैध बनाया गया.

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Feminism को Ambedkarism से मिल रही प्रेरणा 

उनके प्रभाव की वजह से Equal Remuneration Act, 1976 और The Dowry Prohibition Act of 1961 जैसे कई महिला-समर्थक अधिनियम भी पारित हुए, जिससे महिलाओं को समान वेतन का अधिकार मिला और दहेज को अपराध घोषित किया गया.

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Image Credits: Feminism in India

समाज में महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रहे अत्याचार, अंबेडकर के कानून और समान समाज की उनकी वकालत की ज़रुरत पर ज़ोर देते हैं. अंबेडकर द्वारा शुरू की इस लड़ाई ने महिलाओं को कई अधिकार हासिल करने में मदद की, लेकिन ये सफ़र अभी बाकी है. Ambedkarism इस दिशा में Women Right's Advocates को प्रेरित कर रहा है.

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