Politics की female politicians को लेकर ओछी भाषा...

होड़ सी लग जाती है कि कौन सबसे ज़्यादा घटिया बातें कर सकता है. और हमेशा की तरह इसका भी सबसे ज़्यादा नुकसान महिलाओं को उठाना पड़ता है- इस प्रसंग में राजनेत्रियों को यानी कि महिला राजनेताओं को.

author-image
मैत्री
New Update
dirty Politics

Image- Ravivar Vichar

चुनावी बिगुल बजते ही जैसे राजनेताओं की ज़बान और भी ज़्यादा खराब हो जाती है. एक तरह से जैसे होड़ सी लग जाती है कि कौन सबसे ज़्यादा घटिया बातें कर सकता है. और हमेशा की तरह इसका भी सबसे ज़्यादा नुकसान महिलाओं को उठाना पड़ता है- इस प्रसंग में राजनेत्रियों को यानी कि female politicians को.

Politics में हर वक़्त होता है अभद्र भाषा का प्रयोग

इस बार की शुरुआत उस प्रसंग से हुई जब कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत के सोशल मीडिया अकाउंट से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को मंडी से बीजेपी टिकट मिलने पर एक भद्दी टिप्पणी की गई. सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि वो पोस्ट उनके द्वारा नहीं  बल्कि उनकी टीम के किसी सदस्य द्वारा लिखा गया है. उन्होंने माफी मांगी. लेकिन यह अंग्रेजी की कहावत 'टू लिटिल टू लेट' वाला मामला हो गया.

वैसे खुद कंगना की भी बात करें तो महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें करना, अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना, जो भी महिला उनकी बात से सहमत ना हो उसे गाली देना, और उनकी राजनीतिक विचारधारा के विपरीत वाली विचारधारा की महिलाओं के चरित्र पर टीका टिप्पणी करना, कंगना इन सभी बातों में माहिर है. चाहे सोशल मीडिया हो या इंटरव्यू, कंगना अक्सर महिलाओं के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करती दिखती हैं.

यह भी पढ़े- चुनाव की मारा मारी, महिलाओं पर भारी

लेकिन मेरा यह मानना है कि ऐसी महिला के खिलाफ़ भी किसी दूसरे को अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. कंगना ने जो आज तक किया वह उनकी करनी है. लेकिन उन्हें भी इस बात पर गाली नहीं पडनी चाहिए कि वह एक महिला हैं. सिलसिला यहां रुका नहीं. एक के बाद एक इस तरह के बयान आते रहे. हाल ही में महाराष्ट्र के संजय राऊत ने बीजेपी की नवनीत राणा को नचनिया कहा.

नवनीत राणा को इस बार अमरावती से भाजपा का टिकट मिला है और अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह एक अभिनेत्री रह चुकी हैं. यह हिंदुस्तान की राजनीति में कोई नई बात नहीं है. वर्तमान समय की अगर बात कर लें तो छोटे-बड़े नेताओं की तो बात ही क्या कहें, प्रधानमंत्री की तरफ से भी कई बार अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाता है.

अपना नेता आखें खोल कर चुने

चाहे वह 2014 की रेस में सोनिया गांधी के खिलाफ़ हो या फिर 2021 के बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी के खिलाफ़. वैसे सोनिया गांधी की अगर बात करें तो वर्तमान में शायद ही किसी महिला के खिलाफ़ Indian Politics में इतनी बार अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया हो जितनी बार सोनिया गांधी के लिए किया गया है. चाहे उनकी इटली की जड़ों को लेकर बात हो, चाहे उनकी शादी को लेकर बात हो, इस मामले में भाजपा के कई सारे नेताओं ने, कई बार बेहद अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया है.

और जैसा कि हमने कहा कि महिलाओं के लिए इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल किसी राजनेता के लिए कोई नई बात नहीं है. एक आधी बार कहने को चुनाव आयोग ज़रूर कुछ कार्रवाई कर देता है लेकिन उस कार्रवाई का कोई असर नहीं पड़ता, क्योंकि महिला नेताओं को पड़ने वाली गालियों में कहीं से कहीं तक कोई कमी नहीं आती. अब ऐसे में एक वोटर क्या कर सकता है.

एक वोटर इस बात को एक पैमाने की तरह रख कर देख सकता है कि जो नेता महिला नेताओं यानी की राजनेत्रियों तक के बारे में शालीनता से बात नहीं कर सकते, उनका सम्मान नहीं कर सकते, वह आम जनता की बच्चियों की, महिलाओं की इज़्ज़त क्या ही करेंगे. तो इस बार चुनावी बूथ में अगले 5 साल के लिए अपने नेता को चुनते वक्त इस बात का ज़रूर ध्यान रखिएगा कि क्या वो शख्स महिलाओं की इज़्ज़त सिर्फ़ और सिर्फ़ भाषणों में ही करता है या उसकी भाषा में और व्यवहार में भी यह दिखाई देता है कि वह सचमुच महिलाओं का सम्मान करता है और उनका हितैषी है.

politics Female Politicians Indian Politics