वोट का अधिकार सबसे ज़रूरी अधिकार !

मताधिकार पाने के लिए कई महिलाओं ने बड़े त्याग किए, बड़े संघर्ष किए, खून बहाया, तब जाकर महिलाओं को उनका यह मूल अधिकार मिला है. तो अगली बार जब चुनाव हो तो इस संघर्ष को दिमाग में रखें और अपने अधिकार का पूरा और उचित इस्तेमाल करें.

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मैत्री
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female voters in india

Image- Ravivar Vichar

महिलाओं की सामाजिक स्थिति और आर्थिक स्थिति कैसे सुधरे, उन्हें बराबर के अधिकार कैसे मिले और उन पर हो रहे अत्याचार कैसे कम हों, इस बारे में हम कई सारी बातें कर चुके हैं. महिलाओं के मूल अधिकारों के बारे में भी बहुत बात कर चुके हैं. तो चलिए आज बात करते हैं सबसे ज़रूरी अधिकारों में से एक अधिकार की, जो है voting rights.

महिलाओं के लिए voting rights सबसे ज़रुरी

वोट का अधिकार अपने आप ही एक नागरिक को बराबरी के स्तर पर ले आता है. भारत में जब से चुनाव होने शुरू हुए, महिलाएं तभी से वोट (female voters) कर रही थीं. और न सिर्फ महिलाएं, बल्कि हर एक तबके और हर एक वर्ग को हमेशा से ही वोट करने का अधिकार था. इसलिए हिंदुस्तान में हमने 'सफरेज मूवमेंट' या आंदोलन नहीं देखा.

क्या है Suffrage movement ?

तो चलिए पहले बात कर लेते हैं कि क्या है यह Suffrage movement. वोट करने के अधिकार को सफरेज कहा जाता है और इस अधिकार के लिए चलाए गए आंदोलन सफरेज मूवमेंट कहलाते हैं. भारत की आज़ादी अभी नई है. हम हाल ही में 20वीं शताब्दी में आज़ाद हुए. 1952 में पहला चुनाव लड़ा गया और हर एक तबके को वोट करने का अधिकार रहा. लेकिन यह अधिकार हर एक वर्ग को हर जगह पर हर देश में हमेशा नहीं था. कई सारे लोगों को, कई सारे वर्गों को इसके लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी और महिलाएं उनमें से एक बड़ा तबका रहीं.
महिलाओं ने वोट करने के अपने अधिकार को पाने के लिए लंबा संघर्ष किया. लगभग पूरी 18वीं और 19वीं शताब्दी इसी संघर्ष के नाम हो गई. चाहे वह यूरोप के देश हों, चाहे अमेरिका, महिलाओं को वोट करने के अधिकार पाने के लिए सरकारों के साथ संघर्ष करने पड़े, कई आंदोलन करने पड़े, सरकारों की ज्यादतियां सहनी पड़ीं और कोर्ट के दरवाज़े खटखटाने पड़े. सालों से चल रहे इस संघर्ष को धीरे-धीरे सफलता मिलने लगी. 
1838 में जब पैट्रिकन आइलैंड ने महिलाओं को वोट करने का अधिकार दिया तब महिलाओं के इस संघर्ष को पहली जीत मिली. इसके बाद धीरे-धीरे एक-एक करके कई सारे देश इस फेहरिस्त में जुड़ते गए. कुछ सालों बाद अमेरिका में भी सभी राज्य एक के बाद एक महिलाओं को वोट करने का अधिकार देने को मजबूर हुए. सबसे पहला राज्य व्योमिंग रहा जिसने 1869 में महिलाओं को वोट करने का अधिकार दिया.

मेहनत मशक्कत से बाद मिला अधिकार

तो जैसा कि हमने कहा था कि संघर्ष लंबा रहा और बहुत मुश्किल भी. वोट करने के अधिकार को पाने का सफ़र बिल्कुल भी आसान नहीं था. एक वक्त था जब महिलाओं के लिए वोट के अधिकार को मांगना कई सारे देशों में गैरकानूनी था. ऐसे में इन आंदोलनों की तैयारी छुपा के करनी होती थी. आंदोलन करने पर गिरफ्तारियां होती थीं और इन आंदोलनों का अक्सर बर्बरता से दमन होता था. उसके बावजूद भी महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ती रही और उन्हें साथ मिला कई सारे उन पुरुषों का भी, जिन्होंने इस लड़ाई में एक अहम भूमिका निभाई.
अब वर्तमान की तरफ़ आ जाते हैं. भारत में लोकसभा चुनाव अब बस कुछ ही हफ्तों दूर हैं. हाल ही में हुए राज्यों के चुनाव में हमने देखा कि किस तरह से महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे चुनाव में तो चुनाव के नतीजों को भी एक तरह से पलट कर रख दिया.
तो यह बात मैं खासकर महिलाओं से कहना चाहूंगी कि अपने वोट करने के अधिकार को पूरी तरह से इस्तेमाल करें, सोच समझकर इस्तेमाल करें. क्योंकि यह अधिकार महिलाओं को एक लोकतंत्र में सच्चे मायने में बराबरी का (voting rights for women) अधिकार देता है. और इस अधिकार को पाने के लिए कई महिलाओं ने बड़े त्याग किए, बड़े संघर्ष किए, खून बहाया, तब जाकर महिलाओं को उनका यह मूल अधिकार मिला है. तो अगली बार जब चुनाव हो तो इस संघर्ष को दिमाग में रखें और अपने अधिकार का पूरा और उचित इस्तेमाल करें.
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