2024 की 'X' फैक्टर Women Voter

एक वोट वर्ग जो कि इन राजनीतिक दलों की हार जीत में बड़ा रोल तय करेगा, वो है महिला वोटर. महिला वोटर इस चुनाव का सबसे अहम 'डिसाइडिंग फैक्टर' होंगी.

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मैत्री
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Women Voters percentage

Image- Ravivar Vichar

चुनाव अब आधे से ज़्यादा हो चुका है. सात में से चार चरणों में वोटिंग हो चुकी है. लगभग दो हफ्तों में नतीजे भी सामने आ जायेंगे. ये चुनाव एक से ज़्यादा मायनों में निर्णायक और अभूतपूर्व साबित होंगे इसमें कोई शक नहीं. ये चुनाव कैसे निर्णायक होंगे ये चार जून को साबित हो जायेगा.

Women voters बनेंगी king makers

लेकिन एक वोट वर्ग जो कि इन राजनीतिक दलों की हार जीत में बड़ा रोल तय करेगा, वो है महिला वोटर. महिला वोटर इस चुनाव का सबसे अहम 'डिसाइडिंग फैक्टर' होंगी. ये महिला वोटर हर इलाके के नतीजों को अलग अलग तरीके से प्रभावित करेंगी लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इस बार की 'किंग मेकर' महिला वोटर बनेंगी.

हर वर्ग की महिलाओं के मुद्दे एक दूसरे से अलग हो सकते हैं, लेकिन प्रभाव एक जैसा रहेगा. यह बात राजनीतिक दल अच्छे से समझते हैं. इसलिए महिला वोटरों को लुभाने की ख़ास कोशिश भी की जा रही है. चुनाव कवर करने के लिए मेरा कई राज्यों में जाना हो चुका है. सफ़र अभी भी जारी है.

2014, 2019 और 2024 में एक फ़र्क ये है कि इस बार महिला वोटर ज़्यादा आत्मविश्वास से भरी हुई हैं. अपने वोट का प्रभाव वो हाल ही के राज्यों के चुनाव में देख चुकी हैं. तो ऐसे में लोकसभा के लिए वो ज़्यादा आत्मविश्वास से लबरेज़ हैं. महाराष्ट्र और बिहार की महिला वोटरों में एक बात जो मुझे समान दिखी वो ये कि वोटिंग वाले दिन वो चुप्पी साध रही हैं. वोटिंग वाले दिन बहुत सी महिला वोटर ये तक नहीं बताना चाह रहीं कि वो किन मुद्दों पे वोट डाल रहीं हैं.

Women Voters है silent voters

वो समझती हैं कि जैसे ही मुद्दों की गिनती करवाएंगी, कोई भी समझ जायेगा कि वो किस को स्वीकार रहीं और किसको नकार रहीं हैं. 'साइलेंट वोटर' चुनावी गेम को कैसे पलट देते हैं वो तो कई बार साबित हो चुका है. इस बार साइलेंट वोटर्स की सबसे ज़्यादा संख्या महिला वोटरों की है. ये साइलेंट महिला वोटर्स इस बार कई चुनावी विशेषज्ञों को गलत साबित करेंगी. इस बार के चुनाव में महिला वोटर 'ट्रेंड सेटर' होंगी और जिस तरह का अनुमान है अगर उस तरह का असर महिला वोटरों का चुनाव पर पड़ा तो ये आगे आने वाले चुनावों के लिए बहुत कुछ बदल देगा. 

लेकिन इन सबके बावजूद, इन महिला वोटरों के जो मुद्दे हैं, जिनके आधार पर वो वोट डाल रहीं हैं, ख़ुद उनके लिए भी महिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा नहीं रहेगा. चुनावी मुद्दों की वो फेहरिस्त जिसके लिए ये महिलाएं वोट डालेंगी, उसमें चौथे पांचवें नंबर तक भी महिला सुरक्षा इन महिला वोटरों के लिए मुद्दा नहीं रहेगा.

ये दुर्भाग्यपूर्ण है. आशा बस इस बात कि की जा सकती हैं कि अपने वोट की ताकत को पूरी तरह से समझ कर, आज़मा कर और उसका नतीजा देखने के बाद महिला वोटर अपने वोट की अहमियत को समझेंगी. उम्मीद है कि जब उन्हें अपने वोट की ताकत का और ज़्यादा आभास होगा, तब वो शायद महिला सुरक्षा को एक बड़े मुद्दे के तौर पर देखेंगी और वोट डालने के फ़ैसले के पीछे के मंथन में महिला सुरक्षा के मुद्दे को शामिल करेंगी. हो सकता है मैं कुछ ज़्यादा ही आशावादी हो रही हूं. हो सकता है ये मेरी बस 'विशफुल थिंकिंग' हो. पर मुझे लगता है कि होगा. इसमें थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन होगा ज़रूर.

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