भारत में एथलेटिक्स पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता. यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे बढ़ावा देना चाहिए . ऐसे में 23 वर्षीय ज्योति याराजी (Jyoti Yaraji) ने बैंकॉक (Bangkok) में हुई एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2023 (Asian Athletics Championship 2023) में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता. फाइनल में 13.09 सेकंड का रिकॉर्ड समय लेकर जापान (Japan) को पीछे छोड़ा. ज्योति का राष्ट्रीय रिकॉर्ड 12.82 सेकंड है.
ज्योति याराजी एक ऐसा नाम जो भारत की महिला हर्डलर (Women Hurdler) है. छोटी सी उम्र में ही वह 100 मीटर हर्डलर रेस (Hurdler Race) टीम का हिस्सा बनी. ज्योति आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के विशाखापट्ट्नम (Visakhapatnam) की रहने वाली है और वहां उनके पिता प्राइवेट सुरक्षा गार्ड है. उनकी मां हॉस्पिटल में क्लीनर का पार्ट टाइम काम करती है. आर्थिक मुश्किलों के बावजूद ज्योति के माता पिता ने पूरा साथ दिया और आगे बढ़ाया. ज्योति अपने खेल और मेहनत से अपने परिवार की ज़िन्दगी बदलना चाहती है.
रिलायंस ओडिशा एथलेटिक्स हाई- परफॉरमेंस सेंटर से मिली ट्रेनिंग
रेस का सफर स्कूल से शुरू हुआ, जहा फिजिकल एजुकेशन टीचर ने उनके टैलेंट को पहचाना. बस फिर क्या था, बिना पीछे मुड़े, ज्योति अपनी मंजिल को पाने के लिए आगे बढ़ती गयी. साल 2015 में ज्योति ने आंध्र प्रदेश इंटर-डिस्ट्रिक्ट मीट में स्वर्ण पदक जीता था. उन्होंने 2019 में भुवनेश्वर (Bhubaneshwar) में स्थित रिलायंस ओडिशा एथलेटिक्स हाई- परफॉरमेंस सेंटर (Reliance Odisha Athletics High Performance Centre) को ज्वाइन कर प्रशिक्षण लिया. जनवरी 2020 में कर्नाटक (Karnataka) के मूडबिद्री में हुए ऑल इंडिया इंटर - यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स मीट (All India Inter-University Athletics Meet) में स्वर्ण पदक जीता . इसके बाद फरवरी में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (Khelo India University Games) में स्वर्ण पदक जीता.
ज्योति के जीवन में कई हर्डल आये, जिनको पार करके आज वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हर्डलर है. ज्योति लगातार अंतर राष्ट्रीय गेम्स (International Games) की तैयारी कर रही थी, पर कोविड-19 महामारी की वजह से, एक भी इवेंट्स का आयोजन नहीं हुआ और उनकी सारी मेहनत बेकार हो गयी. इसी वजह से ज्योति को अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज करने में वक़्त लगा. एक रेसिंग मैच के दौरान पीठ पर चोट लगने के कारण उन्हें दरकिनार किया जाने लगा. जिससे उनका आत्मविश्वास काफी कम हो गया और वह इतना डर गई थी की, हर्डलस की सबसे कम सेटिंग को भी पार नहीं कर पा रही थी. उनके आत्मविश्वास और शारीरिक ताकत को बढ़ाने के लिए उनके कोच जेम्स हिलियर और उनकी टीम ने मदद की. इसके बाद जब वह मैदान में लौटी, तब उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाये. ज्योति ने दो बार राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया पर कुछ कारणों से वह नेशनल रिकॉर्ड में शामिल नहीं हुए. इन सब से ज्योति निराश हुई, लेकिन कुछ समय बाद 2022 में, 100 मीटर की हर्डलर रेस में, उन्होंने 13.23 सेकेंड के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड (National Record) बनाया.
ज्योति बताती है कि भारत में रेस शुरू करने से पहले मैनुअल गन (Manual Gun) का इस्तेमाल होता है, पर यूरोप (Europe) में इलेक्ट्रॉनिक स्टार्टर का उपयोग होता है, जिसकी आवाज से वह परिचित नहीं थीं और इस वजह से उन्हें पता ही नहीं चला की, रेस कब शुरू हो गई. उन्होंने दौड़ना तभी शुरू किया, जब उन्होंने अन्य ऐथलीटों को दौड़ते देखा. ऐसी ही कितनी मुश्किलों, कठनाईयों, हर्डल्स को पार करके महिला सशक्तिकरण और ज़ज़्बे की मिसाल बन चुकी है, ज्योति याराजी.