सिलाई से संवर गया 300 महिलाओं का जीवन

किसी समय मजदूरी के लिए मजबूर महिलाओं को Ajeevika Mission का साथ मिला और एक या दो नहीं बल्कि कई 300 महिलाओं का जीवन संवर गया. कई गांव में यह महिलाएं अब सम्मान से ज़िंदगी जी रहीं.

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सिलाई से संवर गया 300 महिलाओं का जीवन

रायसेन के सिलाई सेंटर पर समूह सदस्य और अधिकारी CEO Anju Bhadauria के साथ अन्य अधिकारी (Iamge:Ravivar Vichar)

MP के रायसेन जिले में  self help group की महिलाओं ने मिसाल कायम कर दी.थोड़ा गाइडेंस और लोन की सहायता से ये महिलाएं आत्मनिर्भर हो गईं.यह पूरी कहानी रायसेन जिले के सिलवानी ब्लॉक की है. 

हुनर ऐसा कि IIM और Reliance Foundation हुए कायल   

Raisen जिले के Silvani Block में सिलाई का काम कर रहीं SHG की महिलाओं का हुनर ऐसा कि IIM (Indian Institute of Management) Indore के स्टूडेंट्स जहां filed work में study करने आए,वहीं  Reliance Foundation ने विजिट की.



केवल तीन साल की मेहनत में Ajeevika Mission के self help grop की सदस्यों ने सिलाई के हुनर में पकड़ बना ली.

Raisen के Silvani Block Manager (BM) Rakesh Kushwaha कहते हैं-"यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.सिलाई सेंटर्स पर आधुनिक मशीनें लगी हुईं.यहां सेंटर्स पर 40 से ज्यादा महिलाएं लगातार सिलाई में जुटी रहती हैं. इस काम के अध्ययन के लिए IIM Indore के स्टूडेंट्स भी यहां आ चुके हैं.इसके अलावा रिलायंस फाउंडेशन मुंबई ने भी 21 दिन का special training देने के लिए अनुबंध किया."

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ट्रेनिंग के बाद प्रमाण पत्र के साथ समूह सदस्य महिलाएं (Image :Ravivar Vichar) 

सिलवानी ब्लॉक के लगभग 14 गांव की SHG महिलाएं इस प्रोजेक्ट से जुड़ीं हैं. यह समूह केरल में भी सम्मानित हो चुका है.   

Advance मशीनों पर 1 लाख 28 हज़ार स्कूल uniform की तैयार 

सिवनी ब्लॉक के सियरमऊ गांव में यह प्रोजेक्ट लगाया गया.इस पूरे सफल प्रोजेक्ट की बड़ी दिलचस्प कहानी है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी रेखा नामदेव बताती है-"हमारे पास पहले कोई काम नहीं था. ट्रेनिंग में सिलाई सीखी.हम अब एक लाख 28 हज़ार यूनिफार्म सिल चुके हैं.हमारी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी हो गई."

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IIM Indore के स्टूडेंट्स फिल्ड वर्क के लिए सिलाई सेंटर पहुंचे (Image :Ravivar Vichar)

 रजनी विश्वकर्मा कहती है-"समूह से जुड़ने के पहले हमें मजदूरी भी नहीं मिल पा रही थी.अब ख़ुशी है कि हम लखपति की श्रेणी में आ गए.

"शानू खरे का कहना है-"हमारा जीवन स्तर सुधर गया.14 गांव में हमारे समूह की सदस्य भी इस काम से जुड़ी है.हम लोग सभी 10 से 12 हज़ार रुपए आराम से कमा लेते हैं."        

Ajeevika Ruaral Mart में तैयार हो रहा रॉ मटेरियल 

शुरुआत में समूह की महिलाएं सिलाई के लिए रॉ मटेरियल बड़े व्यापारियों से खरीदती थीं. महंगा सौदा होने के कारण Ajeevika Rural Mart का रिजस्ट्रेशन करवाया.

block manager (BM) Rakesh Kushwaha  कहते हैं-"समूह की महिलाएं अब ऑर्डर पर कपड़ा खरीद लेती हैं.बाकायदा CA इसे मैंटेन करते हैं."

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 केरल स्टेट में आयोजित कार्यक्रम में भी समूह का किया था सम्मान (Image :Ravivar Vichar) 

शुरुआत में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RSETIने 85 महिलाओं को ट्रेनिंग दी. 26 महिलाओं को 30 हज़ार रुपए का लोन मिला. इस सपोर्ट से आधुनिक सिलाई मशीनें खरीद ली.

Raisen जिला पंचायत (ZP) CEO Anju Bhadauria भी लगातार समूह सदस्यों को प्रोत्साहित कर रहीं.उन्होंने ख़ुशी जाहिर की "रिलायंस फाउंडेशन जैसी संस्थाएं यहां की महिलाओं की काबिलियत समझ रहीं.इससे महिलाओं का मनोबल बढ़ेगा."   

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