सेल्फ हेल्प ग्रुप्स समाज में महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक उपाय है, जो गरीब महिलाओं को रोजगार देकर, उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बना रहे है. SHG महिलाओं को अपने सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत देकर, उन्हें सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने का जरिया है.
झारखण्ड (Jharkhand) की रहने वाली महेश्वरी (Maheshwari) के पास जमीन होते हुए भी, पैसे न होने के कारण खेती नहीं कर पा रहीं थी. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी और इसी आर्थिक तंगी से उबरने के लिए महेश्वरी ने घर की चौखट को लांघकर खुद कुछ करने की ठानी.
लोन लेकर शुरू किया व्यवसाय
साल 2017 में महेश्वरी Self Help Group से जुड़ीं और समूह की मदद से बकरी पालन और और खेती के लिए 15 हज़ार का लोन (Loan) लिया. उन्होंने अपने व्यवसाय की शुरुआत कुछ बकरियां खरीदकर की जिससे उन्हें 30 हज़ार की आमदनी हुई और इन्हीं पैसों से उन्होंने टमाटर की खेती की और इससे भी उन्हें 40 हज़ार की आमदनी हुई. कुछ पैसों को उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई में लगाया, जिससे उनकी शिक्षा (Education) में सुधार आया.
जैविक खेती की शुरुआत की
इसके बाद उन्होंने क्रेडिट लिंकेज लोन (Credit Linkage Loan) से 50 हज़ार का लोन लेकर जैविक खेती शुरू की जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हुई. महेश्वरी के काम को देखकर गांव की और भी महिलाएं उनसे प्रेरित होकर, स्वरोजगार की तरफ आगे बढ़ रहीं है. SHG महिलाएं साथ मिलकर अलग-अलग विकास योजनाओं के लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहीं है.
महेश्वरी उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो अपने जीवन में कुछ करना चाहती है, पर आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण कुछ नहीं कर पा रहीं है. ऐसी महिलाएं self help groups से जुड़कर अपने व्यवसाय आसानी से शुरू कर, खुद को स्वावलंबी बना सकती हैं. महेश्वरी जैसी महिलाएं स्वरोजगार के जरिए विकास की ओर बढ़ने में अहम भूमिका निभा रहीं है. सरकार भी समय-समय पर महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई-नई योजनाएं और प्रयास कर रही है.