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Image Credits : Behan Box
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आदिवासी महिला स्वयं सहायता समूह भारत के समृद्ध आदिवासी समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है. समूह के जरिए महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नारी उत्थान और सामाजिक उदारीकरण के जरिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के कई प्रयास किए जा रहे है.
ऐसी ही पहल की शुरुआत आदिवासी उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (Indian Institute Of Management) रांची (IIM Ranchi) और नेशनल स्किल डेवलपमेंट सेंटर (National Skill Development Center, NSDC) के द्वारा झारखण्ड (Jharkhand) में की गई. छात्रों को स्थानीय संसाधनों और संस्कृति के अनुरूप औशधीय पौधों, बागवानी और सुगंधित तेल जैसे प्रमुख क्षेत्रों में इंटर्नशिप कराई जाएगी. IIM रांची के सेकंड ईयर के छात्रों को बिशनपुर में पांच दिनों की यात्रा भी करवाई गई, जिसमे उन्हें ग्रामीण विकास पहलों के बारे में बताया गया.
इंस्टिट्यूट के नौ बैचों को 1 महीने के ट्रेनिंग प्रोग्राम में, self help groups के साथ काम करने का मौका मिलेगा. इस पहल के जरिए, छात्रों को IIM के सदस्यों के गाइडेंस से, रूरल मार्केटिंग, सहकारी समितियों और सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को और बेहतर बनाने का मौका दिया जाएगा. इससे आदिवासी समुदायों को उनके व्यवसायों को और बढ़ाने में मदद मिलेगी, साथ ही उन्हें अपनी संस्कृति और स्थानीय संसाधनों के अनुरूप विकास करने का मौका मिलेगा. यह योजना NSDC से फंडेड मल्टी स्किल डेवलपमेंट एंड वीमेन एम्पावरमेंट सेंटर, बलातु द्वारा शुरू की जाएगी. छात्रों को उद्योग-बाजार लिंकेज योजना में काम करने का मौका दिया जाएगा.
SHGs महिलाओं को लेमनग्रास और सिट्रोनेला तेल के उत्पादन और विपणन से जोड़ने के लिए प्रोजेक्ट्स बनाये जा रहे है, जिससे आदिवासी महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ेगी, उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा. इस कार्यक्रम से SHG महिलाओं को समर्थन मिलेगा, जिससे वह अपने जीवन में सुधर ला पाएंगी और उन्हें नए रोजगार के अवसर मिलेंगे. इससे आदिवासी समुदायों और SHG महिलाओं को उत्थान, समृद्धि और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए मदद मिलेगी. इससे भारतीय समाज में सामर्थ्य और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा .