भारतीय इतिहास में कुछ शासक ऐसे होते हैं, जिनकी कहानियां सिर्फ उनके शासनकाल तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि उनके द्वारा किए गए कार्य और उनकी सोच सदियों तक समाज को प्रेरित करती रहती है. यह समय की सीमाओं को पार कर हर पीढ़ी, हर युग में एक अमिट छाप छोड़ जाती हैं.
ऐसे ही एक शासक थे Maharaja Sayajirao Gaekwad III, जिन्होंने बड़ौदा की धरती पर विकास के नए आयाम स्थापित किए. उन्होंने 19वीं और 20वीं शताब्दी के मोड़ पर ऐसे कदम उठाए, जिन्होंने केवल बड़ौदा की तस्वीर ही नहीं बदली, बल्कि पूरे भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रेरणा भी बने. उनके योगदान ने महिलाओं को शिक्षा, स्वतंत्रता और समानता की ओर राह दिखाई. महाराजा सयाजीराव की विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है और उनके कार्यों की गूंज समय के साथ और भी मजबूत होती जा रही है.
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समाज सुधार की दिशा में Sayajirao Gaekwad III की पहल
Sayajirao का मानना था कि एक समृद्ध समाज की नींव शिक्षा से ही पड़ती है. उन्होंने पुरुषों के साथ महिलाओं की शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया और महिला शिक्षा को अपने शासन का एक महत्वपूर्ण आधार बनाया. उनके शासनकाल में महिलाओं के लिए स्कूल और कॉलेज खोले गए. इससे पहले जहां महिलाओं की शिक्षा को बहुत कम महत्व दिया जाता था, वहीं Sayajirao के प्रयासों ने महिला शिक्षा को एक नई दिशा दी जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधर हुआ.
इसके अलावा भी उन्होंने महिलाओं के हित में समाज सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उस समय के समाज में जहां विधवा विवाह को लेकर कई तरह की रूढ़िवादिता थी, Sayajirao ने इस प्रथा के खिलाफ खड़े होकर विधवा विवाह को समर्थन दिया और इसे बढ़ावा देने के लिए कई आयोजन भी किए. उनके इस कदम ने समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत की और एक नई सोच का जन्म दिया.
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महिलाओं को बनाना चाहते थे हर रूप से स्वावलंबी
Sayajirao ने महसूस किया कि आर्थिक स्वतंत्रता के बिना समाज का सच्चा विकास संभव नहीं है. इसके लिए उन्होंने रोजगार सृजन के नए अवसर प्रदान किए और किसानों को उन्नत खेती के तरीके सिखाए. इससे किसान काम लागत में खेती कर ज़्यादा आय सुनिश्चित कर पाते थे. इसके साथ उन्होंने महिलाओं को भी रोजगार के अवसर प्रदान किए और उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की दिशा में कई उपाय किए. महिलाओं के हित में कई पहलों को लागू किया जिससे के वे बिना किसी संकोच के अपनी भागीदारी दे सकें.
स्वास्थ्य को समाज के विकास का एक अहम हिस्सा मानते हुए, Maharaja Sayajirao ने महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर भी विशेष ध्यान दिया. उन्होंने महिलाओं के लिए अस्पतालों की स्थापना करवाई और साफ़ पानी एवं स्वच्छता के लिए हर संभव कदम उठाए. इससे महिलाओं का जीवन स्तर सुधरा और उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान हुआ.
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Maharaja Sayajirao Gaekwad III की कहानी ना केवल एक राजा की कहानी है, बल्कि एक ऐसे विचारक की कहानी है, जिसने महिलाओं के उत्थान के लिए अपने समय से आगे सोचा. उनके द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्थान और महिला सशक्तिकरण की पहल ने उनके समय के साथ आज हमारे समाज के विकास में भी एक मजबूत आधार का काम किया है.
उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि समाज के हर वर्ग का विकास ही सच्चे अर्थों में समाज का विकास है. साथ ही इस वास्तविक परिवर्तन के लिए दूरदर्शी सोच और अडिग प्रतिबद्धता कितनी अनिवार्य है. महिलाओं के विकास में अपने क्रांतिकारी योगदान, दूरदर्शी नीतियों और कड़ी मेहनत से आज भी वह हमें एक बेहतर समाज की ओर बढ़ने की प्रेरणा दे रहे है.