ग्रामीण भारत (Rural India), जहां परंपराएं समाज का ताना-बाना बुनती हैं और दैनिक जीवन की लय अक्सर प्रकृति तय करती है. एक बदलाव लाने की अनछुई संभावना इसी ग्रामीण भारत में छिपी हुई है. यह क्षमता इन समुदायों की महिलाओं में बसी है. ये महिलाएं देखभाल करने वालों, शिक्षकों और मजदूरों के रूप में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं. फिर भी उनकी समीक्षाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं. इस क्षमता को उजागर करने की कुंजी है स्वास्थ्य शिक्षा (rural health education). केवल व्यक्तिगत कल्याण के लिए ही नहीं बल्कि ग्रामीण समुदायों के समग्र विकास के लिए भी यह एक शक्तिशाली साधन है.
आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में, healthcare facilities तक पहुंच सिमित है. साथ ही स्वास्थय को लेकर जागरूकता की कमी और समाज द्वारा बनाए गए stereotypical cultural norms अक्सर महिलाओं को उनके स्वास्थ्य और स्वास्थ्य अधिकारों के मामले में अंधेरे में रखते हैं. इसका असर ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे मातृ मृत्यु (maternal mortality rate), कुपोषण (malnutrition) और रोकी जा सकने वाली बीमारियों के उच्च दरों के रूप में देखा जा सकता है. इस बात से यह तो तय है कि health education ना केवल एक आवश्यकता के रूप में उभरती है बल्कि सशक्तिकरण (empowerment) और विकास (development in India) के लिए भी एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में सामने आती है.
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Rural India में health education का महत्त्व
ग्रामीण महिलाओं के लिए health education और भी ज़रूरी हो जाती है, क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य, परिवार के कल्याण और समाजिक विकास, सभी में योगदान देती है.
Health education से महिलाओं को कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिसमे से कुछ हैं:
- स्वास्थ्य में सुधार - स्वास्थ्य शिक्षा से महिलाओं को पोषण, स्वच्छता, reproductive health, तथा आम रोगों और उनसे बचाव के बारे में जानकारी मिलेगी. यह जानकारी महिलाएं और उनके परिवार के स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मदद करेगी.
- मातृ और बाल मृत्यु दर में कमी - Pregnancy से संबंधित देख-रेख, खासकर जन्म देने और उसके बाद किए जाने वाले उपचार के बारे में सही शिक्षा से ग्रामीण क्षेत्रों में मातृ और बाल मृत्यु दर (infant mortality rate) को काफी कम किया जा सकता है.
- महिला बनेंगी सशक्त - महिलाओं को उनके स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने में health education अधिक स्वायत्त बनाती है जिससे वह सशक्त और आत्मनिर्भर बनती हैं. यह निर्णय family planning से लेकर बच्चों की परवरिश से संबंधित हो सकते है. स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने से, पूरे समुदाय को स्वास्थ्य परिणामों, आर्थिक स्थिरता में लाभ होगा. साथ ही इससे gender ratio को सुधरने में भी मदद होगी.
- आर्थिक लाभ - स्वस्थ महिलाएं अपने परिवार और समुदाय में अधिक प्रभावी रूप से योगदान दे सकती हैं. बिमारियों पर नियंत्रण पाने के उपायों के माध्यम से healthcare पर अपने खर्च को कम करने से, परिवार शिक्षा और पोषण जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ध्यान दे सकते हैं.
ग्रामीण भारतीय महिलाओं के लिए स्वास्थ्य शिक्षा का प्रचार और समर्थन करने से न केवल उनकी स्वास्थ्य स्थितियों में सुधार होगा बल्कि यह उनके सशक्तिकरण और समुदाय के समग्र विकास में भी योगदान देगा.
महिलाओं में health education पर दिया जा रहा ज़ोर
ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार, NGOs और निजी संगठन कई पहलों पर काम कर रहे है.
सामाजिक स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (ASHA Workers), आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और healthcare professionals की मदद से कई schemes और policies लागु की गईं हैं. इनमें Polio Vaccination, Ayushman Bharat, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, मिशन इंद्रधनुष और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थय मिशन (National Rural Health Mission) जैसी schemes मौजूद है.
इसी के साथ आज स्कूली स्तर पर भी sex education को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे adolescence में ही reproductive health के बारे में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. यह कदम society के stereotypes को तोड़कर आने वाली पीढ़ियों को खुलकर बिमारियों और उनसे बचाव के बारे में चर्चा कर सकेंगे और शुरुआती स्तर पर ही बिमारिओं से बच सकेंगे.
Health services और professionals की मदद से गैर सरकारी संगठन (NGOs), सरकारी संगठन और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में seminars और health camps की मदद से शिक्षा लोगों तक पहुंचा रहे हैं. इसमें खास तौर पर menstrual hygiene, HIV और AIDS जैसी घातक STDs और महिलाओं में एनीमिया जैसी बिमारियों के बारे में जानकारी दी जाती है जो महिलाओं के लिए बेहद ज़रूरी हैं.
ग्रामीण भारत में health education के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हर तरफ से प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें न केवल शैक्षिक पहलू बल्कि महिलाओं के सामने आने वाली सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बाधाओं को भी दूर किया जाए. निरंतर प्रयासों के माध्यम से, स्वास्थ्य शिक्षा महिला सशक्तिकरण के लिए एक शक्तिशाली माध्यम बनेगी.