सेल्फ हेल्प ग्रुप्स एक सामूहिक प्लेटफॉर्म हैं, जहां महिलाएं एक साथ संबंध और विश्वास के साथ मिलकर, आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से सुधार ला रहीं हैं. कुछ महिलाएं समाज और अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहीं, जिससे वह सफल भी हो रहीं हैं. अपने निरंतर प्रयास और संकल्प से वह समाज में बदलाव ला रहीं. उन्हीं महिलाओं में से एक हैं अंशुमाली.
प्रोजेक्ट सारथी दिला रहा SHGs को आर्थिक स्वतंत्रता
अधिकांश गांव की महिलाएं अपने परिवार के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है पर उनके पास कोई आर्थिक आधार नहीं होता. अंशुमाली ने इस समस्या को हल करने के लिए प्रोजेक्ट सारथी (Project Sarthi) के अंतर्गत अपने गांव इटहुरा में, अपने घर पर ही स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाया. समूह के जरिए गांव की महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिंग देकर, उन्हें रोजगार दिलाने के साथ आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहीं है. इस समूह का उद्देश्य महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता दिलाना है. अंशुमाली ने फैबनेस्ट स्टूडियो (Faibnest Studio) के साथ मिलकर काम कर रहीं, जिससे SHG महिलाओं को ट्रेनिंग के साथ आर्डर भी मिल रहे. इससे उन्हें आर्थिक आजादी मिलेगी और वह परिवार का सहारा बन पाएंगी.
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प्रोजेक्ट सारथी पिछले दो सालों से उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के देवरिया (Devariya) जनपद में अलग-अलग समाज सेवा कार्य, जैसे गांव के स्कूलों में योग शिविर, मुफ्त कॉपी और लेखन सामग्री वितरण कार्यक्रम, चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे है. प्रोजेक्ट सारथी SHG महिलाओं के लिए सशक्तिकरण और स्वरोजगार ला रहा.
अंशुमाली आगे बढ़कर किसानों के लिए गौ आधारित और जैविक खेती के जरिए विकास में काम और ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को स्वदेशी संस्कृति और सनातन धर्म के प्रति जागरूक करना चाहतीं है.अंशुमाली के प्रोजेक्ट सारथी की मदद से, आज गांव की Self Help Group महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होकर अपने परिवार के बेहतर भविष्य बना रहीं हैं. महिलाएं अपने साथ-साथ अपने बच्चों की शिक्षा पर भी ध्यान दे रहीं हैं. जिससे उनमे भी व्यक्तिगत बदलाव आ रहे हैं साथ ही आज वह आगे बढ़कर समूह के हर काम स्वयं संभाल रहीं है.