MP के Vidisha जिले में नई उम्मीद जागी.यहां self help group की सदस्यों ने Farmer Production Federation के साथ मिल कर बासमती चावल का उत्पादन शुरू किया. शुरुआती दौर में ही उम्मीदें नज़र आने लगी.आने वाले दिनों में विदिशा को धान का कटोरा (Bowl of Paddy) के रूप में पहचान मिल सकती है.
3 हज़ार समूहों की महिलाएं करेंगी धान की खेती
विदिशा जिले में किसान दीदियों में बहुत उत्साह है.सोयाबीन और दूसरी फसलों से अलग ये महिलाएं नए प्रोडक्शन में हाथ आज़मा रहीं.
पिछले साल की तुलना में इस बार किसान दीदियों और SHG की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई. Ajeevika Mission Vidisha के District Project Manager (DPM) SK Chaursia बताते हैं-"पिछले साल जिले 582 स्वयं सहायता समूह द्वारा FPO के साथ जुड़ कर बासमती चावल की खेती की.इस खेती में लाभ होने का फायदा यह रहा कि इस बार 3 हज़ार समूह की महिलाएं इस खेती को करेंगी."
खेत में समूह सदस्यों के साथ अधिकारी (Image:Ravivar Vichar)
यह प्रयोग जिले में सफल माना जा रहा.कृषि वैज्ञानिकों का कहना है Climate change का agriculture क्षेत्र में भी असर हो रहा.विदिशा जिले में ज़मीन उपजाऊ है. रबी सीज़न में यहां उच्च क्वालिटी के शरबती गेहूं का उत्पादन होता.सोयाबीन का रकबा घट गया.
1500 एकड़ में होगी बासमती की खेती
लगातार बढ़िया भाव मिलने का असर यह रहा कि पिछले साल 24 सदस्यों ने यह खेती की.इस बार समूह की संख्या बढ़ने से जिले के ही 1500 एकड़ ज़मीन पर बासमती धान की खेती की तैयारी की जा रही. पिछले साल बासमती धान की खेती करने वाली ओलिजा गांव की मां कृपा SHG की मोहर बाई बताती हैं-"हमें इस खेती में ज्यादा फायदा दिखा.इस बार भी हम यही खेती करेंगे.भाव की वजह से हमारी कमाई बढ़ रही."
इसी तरह ग्यारसपुर ब्लॉक की राधे स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष रीना गुर्जर कहती है-"हम इस साल और खुश हैं.और मेहनत से धान की खेती करेंगे.
अपने धान के खेत में काम करती मोहर बाई (Image :Ravivar Vichar)
जिले DPM SK Chaursia आगे बताते हैं-"विदिशा जिले में 288 krishi sakhi को training दी जा रही.ये natural farming के साथ बासमती चावल की खेती के लिए किसान दीदियों को प्रोत्साहित करेंगी."
यदि इस साल बासमती धान की खेती और अधिक सफल रही तो प्रदेश में नया धान कटोरा बन जाएगा.