MP के Panna जिले में इटवां कला गांव में लगभग हर परिवार self help group से जुड़ता चला गया .इस गांव की सिलोचना भी इनमे से एक है.सिलोचना की animal husbandry की सफलता की
कहानी चर्चा में है.
582 परिवारों के गांव में बन गए कई SHG
पन्ना जिले के इटवां कला गांव की कुल आबादी केवल 582 परिवारों की है.इसमें 8 self help group बना दिए.महिलाओं का उत्साह इतना ज्यादा कि 108 परिवार इन SHG से जुड़ अपना व्यवसाय कर रहे.
इनमे से स्वयं सहायता समूह की सिलोचना बताती है-"हमारे पास केवल 3 एकड़ ज़मीन थी.इसमें खेती कर परिवार का पेट पालना भी मुश्किल था.समूह से जुड़ी और छोटी-छोटी बचत शुरू की.मैंने पहले 25 हज़ार का लोन लिया.एक भैंस खरीदी.लेकिन फिर भी खर्च नहीं निकल पा रहा था.समूह से ही वापस एक लाख का लोन लिया. अब मेरे पास 7 भैंसे हो गई.अब दूध बेचने से हमें हर महीने 12 हज़ार रुपए कमाई होने लगी."
पन्ना जिले में काम करती पशु सखी (Image: Ravivar Vichar)
सिलोचना ने अपना लोन भी समय अपर उतारना शुरू किया.परिवार की आर्थिक हालत बढ़िया हो गई.
Animal Husbandry को बना रहीं पहली पसंद
ग्रामीण इलाकों में स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर महिलाओं और उनके परिवारों की पहली पसंद Animal Husbandry बन गई.Panna के District Project Manager (DPM) Pramod Shukla कहते हैं-"पन्ना में पशु पालन का क्रेज़ बढ़ गया.इससे दूध उत्पादन और बिज़नेस में कमाई अच्छी हो रही. इटवां गांव में कई समूह पशु पालन कर आर्थिक मजबूत हो गए.कई महिलाओं ने मजदूरी छोड़ अब यह व्यवसाय अपना लिया."
जैसे-जैसे animal husbandry का क्रेज़ बढ़ रहा वैसे ही समूह में से ही Pashu Sakhi की संख्या भी बढ़ गई.ये सखियां ही पालतू मवेशियों का टीकाकरण कर रहीं.