मध्य प्रदेश के Balaghat जिले के Lanji block नक्सल इलाके और भीहड़ जंगलों में बसा गांव है धीरी मुरम. केवल 16 परिवारों के इस गांव में कोई आम आदमी तो छोड़िए अधिकारी तक जाने से कतराते थे. 2 साल पहले यहां Ajeevika Mission पहुंचा. counselling की और महिलाओं को स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए राजी कर लिया. पढ़िए एक दिलचस्प कहानी-
गांव MP में पर CG के Naxalite area से गुजरना मज़बूरी
MP के Balaghat जिले के लांजी ब्लॉक में Ajeevika Mission के प्रयास रंग ले लाए. बालाघाट के ख़ुर्शीटोला पंचायत के धीरी मुरम गांव में self help group का गठन कर नई मिसाल पेश की. ख़ास बात यह है कि धीरी मुरम मध्य प्रदेश में होने के बावजूद यहां पहुंचने के लिए छत्तीसगढ़ सीमा से होकर निकलना पड़ता है. Naxalite इलाका होने कारण अधिकारी और आम जनता भी इस गांव में जाने से बचते रहे.
धीरी मुरम गांव में बैठक लेती ABM (Image: Ravivar Vichar)
साल 2022 में इस गांव की तकदीर बदली. शीतलामाता स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष अनीता सिरसाम बताती है-"हमारे गांव में पहले कोई नहीं आता था. बालाघाट से अधिकारी आई और फिर SHG का समूह बनाया. आज मैं समूह की मदद से ही किराना दुकान चलाती हूं. पहले गांव के सभी लोग जरूरत का सामान लेने भी छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में जाते थे .हमें लोन भी मिलने लगा.हमारी कमाई होने लगी."
इसी समूह की सचिव सुकवारो कहती हैं-"हम बहुत खुश हैं.हमारे समूह को गांव के ही स्कूल में Mid Day Meal का काम भी मिल गया.कुछ बहनें खेती और कुछ सब्जी उत्पादन से जुड़ गईं."
महिलाएं कभी लगाती थीं अनूठा, अब गिन रहीं नोट
धीरी मुरम गांव की कहानी बड़ी दिलचस्प है. यहां गांव में सिर्फ एक महिला ही साइन करना जानती थी.बाकी दूसरी महिलाएं अंगूठा लगाती. वही महिलाएं अब कमाई के नोट गिनना सीख गईं.
एक साल पूरा होने पर SHG को सम्मानित करते स्थानीय जनप्रतिनिधि (Image: Ravivar Vichar)
Ajeevika Mission ABM Suneeta Chandne कहती हैं-"धीरी मुरम गांव में समूह बनाना तो दूर, पहुंचना तक कठिन है.लगभग 54 किमी छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से होकर गुजरना पड़ता है.मैं पहुंची.गांव के पंच गोपाल सिरसाम से मदद ली. महिलाओं की लगातार काउंसलिंग की. SHG का गठन किया. अनीता ही सिर्फ साइन करना जानती थी.उसे अध्यक्ष बनाया . पहले Revolving Fund (RF) से 20 हज़ार रुपए की मदद दिलवाई.फिर CCL से डेढ़ लाख रुपए की मदद दी.महिलाओं को जोश आ गया. अनीता ने किराना दुकान खोली.उसे 3 लाख रुपए का दूसरा लोन करवाया. अब महिलाएं छत्तीसगढ़ के गाथापार गांव के हाट बज़ार में नहीं बल्कि गांव में ही सामान खरीदने लगी."
4 पुलिस चौकी पर चेकिंग के बाद दिखता है गांव !
इस गांव में पहुंचना इतना आसान नहीं. बालाघाट से लगभग 60 किमी दूर इस गांव तक पहुंचने के लिए छत्तीसगढ़ सीमा की 4 पुलिस चौकियों में अपना परिचय पात्र दिखाना होता है.Naxalite Area होने के कारण रास्ता कठिन है.
Ajeevika Mission District Project Manager (DPM) Mukesh Bisen बताते हैं-"यह हमारे जिले के लिए बड़ी चुनौती थी. ABM सहित ग्रामीणों के जोश से यहां self help group का गठन सफल रहा.हम प्रयास कर रहे कि और अधिक योजना का लाभ इस गांव की महिलाओं को मिले."
बालाघाट जिला पंचायत (ZP) CEO D.S.Randa और DM Dr.Girish Kumar खुद इस गांव की महिलाओं और SHG को प्रमोट करने में जुटे हैं. DM कुमार और CEO रणदा लगातार SHG महिलाओं का हौसला बढ़ा रहे.