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MP के बड़वानी ज़िले के छोटा बड़दा गांव की महिलाओं ने कमाई के लिए नया रास्ता निकला.अलग-अलग जाकर खिलौने बेचने की जगह सभी ने मिला कर self help group बनाया और अलग पहचान बना ली.
बड़वानी ज़िले के सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित गांवों में से एक छोटा बड़दा की महिलाएं अपने परिवार के साथ गुजर बसर करने के लिए खिलौने बेचती रहीं.सबका अलग अलग धंधा होने से कमाई नहीं हो पा रही थी.
गांव की सरिता सोलंकी बताती है-"हम गांव की महिलाओं ने श्री गणेश स्वयं सहायता समूह बनाया.एक साथ थोक के काम के लिए पहले Revolving Fund 10 हज़ार रुपए की मदद मिली.हमने काम शुरू किया.बाद में हमें CIF के माध्यम से 2 लाख 38 हज़ार का लोन मिला. मैंने घर रिपेयरिंग के साथ मोटर साइकल खरीद ली.मैं हर महीने कम से कम 15 हज़ार रुपए कमा लेती हूं."
CIF में 5 लाख का रोटेशन लोन हो जाने से सभी सदस्यों को फायदा हुआ.
हाट बाज़ार में खिलौने पैक कर वहां से ले जाती महिलाएं (Image: Ravivar Vichar)
इस समूह की पूजा गोयल बताती है-"खिलौनों के बेचने से हमें फायदा होने लगा.हम सभी ठोइक में खिलौने ले आते हैं.मैंने सवा 2 लाख का लोन लिया.घर को अच्छा बनवा लिया और एक मारुती वेन भी खरीद ली.मैं हर महीने लगभग 12 हज़ार रुपए कमा लेती हूं."
बड़वानी और आसपास के इलाकों में लगने वाले हाट बाज़ारों में self help group के इस समुह की रौनक बन जाती है.ये समूह की महिलाएं अपने परिवार की मदद से वाहनों में खिलौने रख कर हाट बाज़ारों और मेलों में दुकानें लगाते हैं.
थोक में रखे खिलौनों के साथ समूह की सदस्य (Image: Ravivar Vichar)
Barwani जिले Ajeevika Mission के District Project Manager (DPM) Yogesh Tiwari कहते हैं-"बड़वानी के इस डूब प्रभावित गांव में रोजगार को लेकर महिलाएं परेशान थी.हमने समूह बनवाया.समूह सदस्यों को CIF और CCL के माध्यम से 10 लाख 80 हज़ार रुपए के लोन की मदद की.सभी सदस्य महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ."
जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार ऐसे समूह की सदस्यों को प्रोत्साहित कर रहे.