हाल ही में UN WOMEN भारत द्वारा नार्थ ईस्टर्न स्टेट (North Eastern State) असम (Assam) कि, कुछ महिला उद्यमियों की कहानियां प्रकाशित की गईं, जिन्होंने सरकारी योजनाओं की मदद से स्किल ट्रेनिंग व लोन लेकर, अपनी ज़िन्दगी में बदलाव लाई.
हैंडलूम इंडस्ट्री के जरिये अपनी ज़िन्दगी बदलती SHG महिलाएं
यह कहानी है रेनू बेरुआ (Renu Berua) कि, जिन्होंने स्वयं सहायता समूह (SHGs) की महिलाओं के साथ मिलकर हैंडलूम इंडस्ट्री (Handloom Industry) के ज़रिए अपना जीवन बदल लिया. रेनू का जन्म 1980 में एक गरीब परिवार में हुआ, वहां उन्हें बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, पर उनके माता-पिता ने गरीबी होने के बावजूद अपनी बेटी के सपनों को पहचाना और उसे शादी करने के लिए कभी मजबूर नहीं किया.
जब 2004 में, रेनू की शादी हुई, वहां उन्हें पति का साथ मिला और उन्होंने रेनू को हथकरघा मशीन लाकर दी. बस फिर क्या था, रेनू ने अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए आगे बढ़कर, दस महिलाओं के साथ self help group बनाकर, गमछे बुनने का काम शुरू किया. जब काम अच्छा चलने लगा, तब उन्होंने सरकारी योजनाओं की मदद से स्किल ट्रेनिंग और लोन लेकर, अपनी आजीविका को सुधारा. लोन की मदद से उन्होंने दूसरी हथकरघा मशीन ली. वह राष्ट्रीय ग्रामीण विकास निधि (National Rural Development Fund) के कौशल निर्माण कार्यक्रमों (Skill Building Programs) में प्रशिक्षण लेकर, डिजाइनिंग ब्रांड ईशक्ति (EShakti Brand) के साथ काम किया. अन्य महिला SHG भी उनके साथ जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ाने में सफल हुईं.
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रेनू के पड़ोसी गांव में हेमा प्रभा (Hema Prabha) को अपने पति की मौत के बाद आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा. उन्होंने असम सरकार (Assam Government) की स्वयं योजना (SWAYAM Scheme) के तहत लोन लेकर हथकरघा (Handloom) खरीदा और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (State Rural Livelihood Mission) की मदद से अपना छोटा सा व्यवसाय शुरू किया और ईशक्ति के माध्यम से उन्हें भी गमछा बनाने के ऑर्डर मिलने लगे.
रेनू और हेमा ने अपने प्रयासों से न केवल अपनी आमदनी बढ़ाई, बल्कि दूसरी महिलाएं को भी सशक्त बनाने में मदद की. उनके प्रयासों से हमें यह सीख मिलती है कि समर्थन, प्रशिक्षण, और स्वयं सहायता समूह (SHG) के जरिए महिलाएं अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं.