Betul जिले में घरेलु महिलाओं में से ही कुछ महिलाओं ने self help group बना कर Organic vermicompost बनाने का काम शुरू किया.इन्हीं में से झगड़िया गांव के मां शारदा समूह से जुड़ी महिलाएं भी मिसाल बन गईं.
दूसरे शहरों तक लगातार बढ़ रही vermicompost की मांग
बैतूल के झगड़िया गांव में अब नई पहचान vermicompost से हो गई.यहां मां शारदा समूह की अध्यक्ष पुष्पलता सरले बताती हैं-"मैं तो घरेलु महिला थी.समूह से जुड़ने के बाद केंचुआ खाद बनाने काम शुरू किया.Ajeevika Mission से RF में 14 हज़ार की मदद की.लगातार लोन मिला.आज हमारे पास 100 बेड हैं जिसमें खाद तैयार हो रही.हमारी इनकम बढ़ गई."
बैतूल में समूह की सदस्य वर्मीकम्पोस्ट तैयार करते हुए (Image: Ravivar Vichar)
यहां तैयार vermicompost की मांग indore जैसे बड़े शहरों तक बनी. समूह की महिलाएं एकजुट होकर यहां खाद तैयार कर रही.
इसमें 13 सदस्यों ने मिलकर यह समूह तैयार किया.
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महिलाओं ने शुरू किया जैविक के फायदे और प्रचार
बैतूल जिले में किसान परिवारों को organic farming का फायदा बताया जा रहा.समूह की ही संतोषी वर्मा कहती है-"हमने CIF से एक लाख का लोन लिया.इससे से हमने खाद बनाने की क्षमता बढ़ाई.इसके बाद CCL से हमें 5 लाख रुपए का लोन मिल गया.शुरुआत में ही हमने लगभग तीन लाख रुपए की खाद बेची,जिसमें पौने दो लाख रुपए का फायदा हुआ."
केंचुआ खाद निर्माण और Advance Farming के लिए अब महिलाएं भी प्रचार कर रहीं.
समूह की महिला अपने वर्मीकम्पोस्ट खाद बेड के साथ (Image: Ravivar Vichar)
Betul Ajeevika Mission के District Project Manager (DPM) Satish Pawar कहते हैं-"यहां महिलाओं में जोश है.इनकी बदौलत कई किसान परिवार और किसान दीदियां जैविक खेती को अपनाने लगीं.हम लगातार मार्केटिंग में सहयोग कर रहे."
बैतूल के कलेक्टर DM IAS Narendra Kumar Suryvanshi भी लगातार SHG महिलाओं के काम और आत्मनिर्भर बनाने के लिए मॉनिटरिंग कर रहे.