MP के कई इलाकों में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन है.इनमें उज्जैन जहां श्रीकृष्ण की कर्म भूमि रहा वहीं प्रदेश के धार जिले में अमझेरा क्षेत्र में रुकमणी से जुड़ा प्रसंग है.खरगोन जिले में गांव चोली का श्रीकृष्ण मंदिर एक सखी के साथ विग्रह के लिए प्रसिद्ध है.
सखी के साथ विराजे राधा - श्रीकृष्ण
Khargone जिले के चोली गांव में एक ऐसा ही मंदिर है जहां श्रीकृष्ण की सखी ललिता मंदिर में साथ विराजित हैं.
मंदिर के पुजारी पंडित जगदीश पराशर बताते हैं-"अधिकांश मंदिर में राधा-कृष्ण और बलदाऊ की मूर्ति देखने को मिलती है.यह मंदिर अद्भुत है.राधा कृष्ण की प्रिय सखियों में ललिता का ज़िक्र है. श्रीकृष्ण की जीवन लीला में समभाव सामान का ही वर्णन है.इस मंदिर में रोज़ाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं."
खरगोन जिले का विनोद बिहारी मंदिर (Image: Ravivar Vichar)
अलग अलग अवसर और मौसम में यहां कई आचार्यों के पद गायन होते हैं.कथा,उत्सव और कीर्तन आयोजित किए जाते हैं.विशेषता यह है कि बांके बिहारी मंदिर की तरह ही यहां ठकुरजी विनोद बिहारी मंदिर में भगवान की सेवा की जाती है.
रुक्मणि हरण स्थल बनेगा धार्मिक पर्यटन स्थल
प्रदेश के ही धार जिले के अमझेरा में स्थित अमका झमका मंदिर भी पौराणिक मान्यता लिए हुए है.यहां के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि थी. श्रीकृष्ण ने इनका हरण किया. बताया जाता है 1720-40 के मध्य राजा लालसिंह ने लाल पत्थरों से इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया.
धार में अमझेरा को विकसित करने की बात करते हुए सीएम यादव (Image: Ravivar Vichar)
इस मंदिर के लिए Chief Minister Dr.Mohan Yadav ने बड़ा कदम उठाया.आने वाली दिनों में इस मंदिर को धार्मिक tourism place के रूप में विकसित किया जाएगा. यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बना हुआ है.
दोस्ती भी यहीं और सुदर्शन चक्र भी यहीं के प्रसंग
Lord Shrikrishna से जुड़े प्रसंगों में उज्जैन का नाम भी खासतौर पर लिया जाता है.मथुरा में जन्म के साथ ही उज्जैन को कर्मभूमि के रूप में स्मरण किया जाता.आज भी दोस्ती की मिसाल जिस कृष्ण और सुदामा की दी जाती उनका जीवन का यह हिस्सा सांदीपनि आश्रम में बीता.मान्यता है आज भी वह सभी निशान मौजूद हैं. CM Mohan Yadav ने इस स्थल को भी को ही और अधिक विकसित करने का निर्णय लिया.
सांदीपनि आश्रम जहां बनी कृष्ण सुदामा की दोस्ती की मिसाल (Image: Ravivar Vichar)
यही नहीं इंदौर जिले के जानापाव स्थान से भगवान परशुराम से ही महाभारत कार्यकाल में उपयोग किए गए सुदर्शन चक्र को भी यहीं प्राप्त किया था.
वर्तमान सरकार के निर्देश पर शासन इन तीनों धार जिले के अमझेरा,जानापाव और सांदीपनि आश्रम को और अधिक tourism की दृष्टि से विकसित करने की योजना बना रहा.