मदुरै (Madurai), तमिलनाडु (Tamil Nadu) की 89 वर्षीय वीरम्मल अम्मा (Veerammal Amma) अरिटापट्टी (Arittapatti, Tamilnadu) की ओल्डेस्ट पंचायत प्रेसिडेंट (Oldest Panchayat President) हैं. उनके नेतृत्व में, आरिट्टपट्टी गांव को तमिलनाडु सरकार (Tamilnadu Government) ने राज्य के पहले जैव विविधता धरोहर स्थल (Arittpatti First Biodiversity Heritage Site of Tamilnadu) के रूप में चुना गया. साल 2020 में 86 साल की उम्र में पंचायत प्रधान बनने में तीसरी बार में जीत हासिल की थी.
IAS सुप्रिया साहू ने कराया वीरम्मल अम्मा का दुनिया से परिचय
IAS अफसर सुप्रिया साहू (IAS Supriya Sahu), पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग में सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव (Additional Chief Secretary in the Department of Environment, Climate Change and Forests) हैं, उन्होंने वीरम्मल पाटी (तमिल में दादी) (Veerammal Paati) का वीडियो शेयर किया. पोस्ट के साथ अम्मा को दुनिया से परिचय दिलाया, जिसमें पंचायत प्रमुख की "संक्रमित मुस्कान, असीम उत्साह और सकारात्मक दृष्टिकोण" की सराहना की गई.
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IAS सुप्रिया साहू ने पोस्ट में लिखा, "उनसे मिलकर और उनके साथ आरिट्टपट्टी के विकास के लिए हमारी योजनाओं पर चर्चा करने का सौभाग्य मिला."
वीरम्मल का जन्म, पालन-पोषण और शादी इसी गांव में हुई. उन्होंने अपने युवावस्था में स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) बनाये. अपने नेतृत्व में महिलाओं को कृषि के लिए लोन (CLF Loan) दिलवा कर मदद की. SHG महिलाओं (Women Self Help Groups) के परिवारिक विवादों के समाधान में भी मदद की.
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वीरम्मल कहती है कि "गांव के लिए कुछ करने की इच्छा हमेशा से थी. उनके भाई गांव के विकास के लिए काम करते थे और पति के एक साल के लिए पंचायत के उपाध्यक्ष रहे हैं."
वीरम्मल ने किया गांव का विकास
अपने तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान, वीरम्मल ने चार पानी की टंकियों और पुलों का निर्माण करवाया. केंद्र सरकार (Central Government Schemes 2023) की 'जल जीवन मिशन' योजना (Jal Jeevan Mission scheme) के तहत तीन सौ घरों में पीने का पानी उपलब्ध कराने में मदद की, सड़क की खराब लाइट्स बदलवाई और अब वह आंगनवाड़ी स्कूल पर काम कर रही हैं.
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आर ओडयन, आरिट्टपट्टी के गांव वन समिति (Village Forest Committee) के प्रमुख कहते है, "गांव पावर पॉलिटिक्स और पितृसत्ता से भरपूर है, वीरम्मल के लिए शिक्षा और सड़कों जैसे क्षेत्रों पर काम करना आसान न था. विरोधी नेता और उनके लोग वीरम्मल के प्रयासों को मात देने के लिए बाधा डालते हैं. सरकारी परियोजनाओं को रोकने या विलंबित करने का प्रयास भी करते हैं."
वीरम्मल कहती हैं, "सालों से वह महिलाओं और गांव के लिए शौचालय, सड़कों, और नए स्कूल के निर्माण के लिए प्रयास कर रही हैं, जहां पर साठ साल पुरानी टूटी-फूटी गांव की प्राथमिक विद्यालयों की संरचनाएं खड़ी थीं."
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आर ओडयन बताते है कि "गांव में कई पोरम्बोक ज़मीन (porambok land) है (जो राजस्व रिकॉर्ड के अंतर्गत नहीं आती), और हम प्रगतिशील प्रोजेक्ट्स के लिए इसका उपयोग करने की कोशिश करते हैं. लेकिन प्रतिष्पर्धा कॉम्पिटिटिव कैंडिडेट्स और उनके लोग इन प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ने नहीं देते, क्योंकि वे इस भूमि के अधिकार का दावा करने के साथ गांव के लोगों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं."
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वीरम्मल बताती है कि "यह सच है कि हर जगह राजनीति होती है और यह मुश्किल हो जाता है क्योंकि लोग जानते है कि मैं इस उम्र में काम के लिए मंजूरी लेने के लिए दर-दर नहीं भटक सकती."
वीरम्मल हार मानने वालों में नहीं हैं. हर दिन रोज सुबह पांच बजे उठकर, खुद खाना बनाती हैं. जिस दिन उन्हें पंचायत कार्यालय (Panchayat Office) का काम नहीं होता, उस दिन वह खेत पर काम करती हैं. गांव के लिए शुरू होने वाले हर प्रोजेक्ट में उपस्थित होने के साथ उसे सफल बनातीं हैं. ज़िन्दगी के इस मोड़ पर भी वीरम्मल, गांव के लोगों के लिए, जो कुछ कर सकती हैं, वह सब करना चाहतीं हैं.