ज़िन्दगी के इम्तिहान को पास करती गीता सिंह

गीता सिंह गांव गांव जाकर महिलाओं को साबुन बनाने, सेनेटरी पैड मेकिंग, फैशन डिजाइनिंग, कढ़ाई और सिलाई करने की ट्रेनिंग दे रही हैं और केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के साथ स्लम बस्तियों और गांवों में जाकर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर रही है.

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ज़िन्दगी है, इम्तिहान तो लेगी ....मुश्किलें, विपत्तियां, कठिनाइयां वह इम्तिहान है जो ज़िन्दगी लेती है. इनको पार करना ही जीवन की सफलता असफलता का पैमाना है. फरीदाबाद में रहने वाली गीता सिंह ज़िन्दगी के इम्तिहान में सफल रही.

लेकिन सफलता पायी कई परेशानियों मुसीबतों से लड़कर. 16 साल की थी जब पिता की मौत हो गई. उनकी मां ने मुश्किलों से 12वीं तक पढ़ाया और फिर कम उम्र में शादी. लेकिन ज़िन्दगी और ज़ज़्बा ख़तम नहीं हुआ, शादी के 11 साल बाद फिर से अपनी अधूरी पढ़ाई को पूरा करने की ठानी. साथ में कंप्यूटर कोर्स भी शुरू किया.

गीता ने खुद बदली अपनी ज़िन्दगी

कभी खुद मां और पति के भरोसे जीने वाली गीता, आज फरीदाबाद के गांवों में महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें उद्यमी बना रही हैं. उन्होंने लक्ष्य ग्रामीण विकास संस्था का गठन किया. इस संस्था में उन्होंने सिलाई कढ़ाई ट्रेनिंग सेंटर, कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर, ब्यूटी पार्लर ट्रेनिंग सेंटर खोलकर श्रमिक महिलाओं और शिक्षा छोड़ चुकी युवतियों को स्वरोजगार से जोड़ा. 150 स्वयं सहायता समूहों को खड़ा कर वह महिला स्वरोजगार के क्षेत्र में क्रांति ले आयी.वह 3400 महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ चुकी है.

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गीता सिंह गांव गांव जाकर महिलाओं को साबुन बनाने, सेनेटरी पैड मेकिंग, फैशन डिजाइनिंग, कढ़ाई और सिलाई करने की ट्रेनिंग दे रही हैं. साथ ही वह केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के साथ मिलकर असंगठित क्षेत्र की महिलाओं के लिए स्लम बस्तियों और गांवों में जाकर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर रही है. वह अब तक 105 जागरुकता कार्यक्रम कर चुकी है. उन्होंने राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास बैंक के सहयोग से गांवों और स्लम एरिया में महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए.

इसके अलावा गीता, स्कूल ड्रॉपआउट लड़कियों के लिए कंप्यूटर सेंटर खोला जिसमें लड़कियों को बेसिक कंप्यूटर शिक्षा दी जाती है. वह कूड़ा बीनने वाले बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवाती है. गीता सिंह अभी तक कूड़ा बीनने वाले 200 बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलवा चुकी है.

गीता सिंह वह उदाहरण है जो सिखाती है की हुनर, हौसला और हिस्सेदारी से सब हासिल किया जा सकता है. साथ ही अपने साथ सबको आगे बढ़ाने की चाहत भी देश समाज को सार्थक बनाने में अहम भूमिका निभाती है.

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