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आज मुझे उन सब से बात करनी है जो कहते है की एक महिला को सिर्फ किचन में ही रहना चाहिए. उनको यह खबर ज़रूर पढ़नी चाहिए. और आप हैरान ना हो, आज भी दुनिया में ऐसे लोग है जो यह बात सोचते है कि एक लड़की को बाहर जाकर क्या करना, एक लड़की घर संभालने के लिए बनी है, वह विज्ञान में कमज़ोर है, वह एक अच्छी वैज्ञानिक नहीं बन सकती...
ये बात ज़रा एक बार उस वैज्ञानिक को बोलिएगा जिसने भारत का पहला मार्स मिशन लीड किया था या फिर उसे, जिसने आदित्य 11 भेजने के लिए काम किया या फिर उसे जिसने इस बार चाँद के साउथ पर अपनी satellite भेजी. दिक्कत ये है कि आज तक हमनें महिलाओं और लड़कियों को वो मौक़ा देना ज़रूरी ही नहीं समझा था. लेकिन आज हालात बदल चुके है.
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग राज्य मंत्री तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में कहा कि
“CSIR- ASPIRE scheme के अंतर्गत 300 महिला वैज्ञानिकों को तीन वर्षों के लिए research grants प्रदान किया जाएगा.”
डॉ. सिंह ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवाचार का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘ईज ऑफ लिविंग’ के दृष्टिकोण के अनुरूप नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए होना चाहिए.
पिछले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शुरू की गई एस्पायर योजना महिला वैज्ञानिकों को अनुसंधान अनुदान प्रदान करने के लिए एक विशेष आह्वान है. इसके लिए लगभग 3000 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे. स्क्रीनिंग और स्वतंत्र समीक्षा करने के बाद, क्षेत्रवार अनुसंधान समितियों ने समर्थन प्रदान करने के लिए कुल 301 अनुसंधान प्रस्तावों की सिफारिश की.
यह स्कीम महिला वैज्ञानिकों को सपोर्ट करने में एक बहुत बड़ा कदम साबित हो रही है. यह बड़ा बदलाव लाएगी, क्योंकि यह हर व्यक्ति की सोच को परिवर्तित करेगी. जो लोग सोचते थे कि बहुत कम महिलाएं इस क्षेत्र में जाती है. हां शायद ये बात सही हो सकती है कि बहुत कम लड़कियां है यहां, लेकिन उसका कारण है कि हमें शायद इन क्षेत्रों में जाने के लिए प्रेरित ही नहीं किया जाता. लेकिन अब इस स्कीम की बदौलत हम यहां भी अपना परचम लेहराएंगे.