गांवों में हमेशा से ही महिलाओं ने कृषि में अहम भूमिका निभाई है. वे खेतों में मेहनत करती हैं, फसलों की देखभाल करती हैं और अपने परिवार के लिए पोषण का ख्याल रखती हैं. आज इन्हीं महिलाओं को उनकी मेहनत के लिए एक नई पहचान मिलने जा रही है और उनका सशक्तिकरण एक नई दिशा में जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), वाराणसी (Varanasi) में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups SHGs) को कृषी सखियों (Krishi Sakhi) के रूप में प्रमाणपत्र प्रदान करेंगे. यह प्रमाण इन महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान को देखते हुए और ग्रामीण महिलाओं के कौशल को बढ़ावा देने के लिए लाभकारी होगा. यह ख़बर उन महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है, जो बिना थमे खेतों में देशभर के लिए अन्न का उत्पादन कर रहीं हैं.
कृषी सखी सर्टिफिकेशन क्या है?
कृषी सखी कन्वर्जेन्स प्रोग्राम (Krishi Sakhi Convergence Program KSCP) 'लखपति दीदी' योजना (Lakhpati Didi Program) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत (rural India) में महिलाओं को सशक्त बनाना है. इस कार्यक्रम के तहत, ग्रामीण महिलाओं को कृषी सखी (Krishi Sakhi) के रूप में प्रशिक्षण और certificate दिया जाएगा. ये कृषी सखियां प्रशिक्षित की जा रही हैं ताकि वे कृषि सेवाओं के लिए कार्यकर्ता बन सकें. इस प्रमाणन कोर्स का उद्देश्य महिलाओं को कृषि के विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है.
क्यों चुनी जा रहीं हैं कृषी सखियां?
कृषी सखियों का चयन इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वे अपनी समुदायों में विश्वसनीय और अनुभवी किसान हैं. उनके गहरे संबंध और अनुभव उन्हें किसानों के बीच सम्मान और सत्कार दिलाते हैं. कृषी सखियों की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि वे ना सिर्फ कृषि से जुड़ी तकनीकी जानकारियां बताती हैं बल्कि किसानों को उनके खेतों में बेहतर उत्पादन के लिए प्रेरित भी करती हैं.
कृषी सखियों को किस प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाएगा?
कृषी सखियों को 56 दिनों का प्रशिक्षण मिलेगा, जिसमें उन्हें इन विषयों पर जानकारी दी जाएगी:
1. ज़मीन की तैयारी से लेकर फसल की कटाई तक के लिए Agro Ecological उपाय
2. किसान फील्ड स्कूलों (Farmer Field schools) का आयोजन
3. बीज बैंक (Seed banks) + स्थापना और प्रबंधन
4. मिट्टी का स्वास्थ्य, मिट्टी और उसकी नमी को बचाने के उपाय
5. एकीकृत खेती प्रणाली (Integrated Farming Systems)
6. पशुधन प्रबंधन की मूल बातें
7. जैविक इनपुट की तैयारी और उपयोग और जैविक इनपुट की दुकानों की स्थापना (establishment of Bio inputs)
8. बात करने के सही तरीके
कृषी सखियों के लिए रोजगार के अवसर!
प्रशिक्षण के बाद, कृषी सखियां एक परीक्षा (Proficiency Test) देंगी. जो सफल होंगी, उन्हें कृषि सखी के रूप में प्रमाणित किया जाएगा, जिससे वे कृषि मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं में शामिल हो सकेंगी. औसतन, एक कृषी सखी एक वर्ष में ₹60,000 से ₹80,000 कमा सकती है.
इस समय, उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (Mission Organic Value Chain Development for North Eastern Region MOVCDNER) योजना के तहत 30 कृषी सखियां स्थानीय संसाधन व्यक्ति (Local Resource Person LRP) के रूप में काम करती हैं. वे हर महीने प्रत्येक खेत का दौरा करती हैं, किसानों की चुनौतियों को समझती हैं और उन्हें समाधान प्रदान करती हैं. वे किसानों के साथ साप्ताहिक बैठकें भी करती हैं और उन्हें प्रशिक्षित करती हैं. इस काम के लिए उन्हें प्रति माह ₹4,500 रुपये की संसाधन शुल्क मिलती है.
कृषी सखी कन्वर्जेन्स प्रोग्राम (Krishi Sakhi Convergence Program KSCP) ना केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बना रहा है, बल्कि उन्हें सामाजिक पहचान और सम्मान भी दिला रहा है. यह पहल ग्रामीण भारत में एक सकारात्मक बदलाव ला रही है, जहां महिलाएं अब सिर्फ खेतों में काम करने वाली नहीं, बल्कि कृषि विकास की मुख्य धारा में शामिल हो रही हैं. यह कार्यक्रम महिलाओं की क्षमता को पहचान कर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है, जिससे वे अपने परिवार और समुदाय के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें.