पर्यावरण संरक्षण आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है. आधुनिक जीवनशैली और तेजी से हो रहे औद्योगिकीकरण (Industrialization) के कारण हमारे प्राकृतिक संसाधन (natural resources) खतरे में पड़ गए हैं. वनों की कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं हमारे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा रही हैं.
पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से हम ना सिर्फ पृथ्वी की सेहत को सुधार सकते हैं, बल्कि अपने जीवन को भी बेहतर बना सकते हैं. इसी की एक पहल करते हुए 7वीं. कक्षा की छात्रा हर्षिता प्रियदर्शिनी मोहंती (Harshita Priyadarshini Mohanty) ने ओडिशा के कोरापुट (Koraput, Odisha) में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.
बचपन से ही जैविक खेती में रूचि
हर्षिता प्रियदर्शिनी मोहंती (Harshita Priyadarshini Mohanty) का जन्म ओडिशा के कोरापुट (Koraput, Odisha) में ही हुआ था. वह वहीं पली बढ़ी. बचपन से ही हर्षिता को खेती, खासकर जैविक खेती (Organic Farming) के बारे में जानने में रूचि रही है. इसी रूचि के चलते, केवल 12 साल की उम्र में ही हर्षिता ने देशी धान (Paddy) और मिलेट्स (millets) की 260 किस्मों को संरक्षित करने जैसा सराहनीय कार्य किया है.
हर्षिता प्रियदर्शिनी मोहंती (Harshita Priyadarshini Mohanty) की प्रेरणा पद्म श्री सम्मानित किसान कमला पुजारी है, जो जैविक खेती (Organic Farming) के प्रचार-प्रसार के लिए जानी जाती हैं. कमला पुजारी की तरह हर्षिता ने भी अपने घर में बीज बैंक (Seed Bank) स्थापित किया और देशी बीजों के संरक्षण की जिम्मेदारी उठाई. यह बीज बैंक 60 दुर्लभ बाजरे की किस्मों को सुरक्षित रखने में सफल रहा है.
कैसे बनाया अपना Seed Bank?
तीन साल पहले, हर्षिता ने देशी बीजों को संग्रहित करना शुरू किया. इस यात्रा की शुरुआत उन्होंने अपने आसपास के गांवों से की और धीरे-धीरे उनका संग्रहण बढ़ता गया. हर्षिता का मानना है कि कई धान और बाजरे की किस्में अब दुर्लभ हो चुकी हैं और उनके संरक्षण के माध्यम से वह किसानों को भविष्य में इनकी खेती करने में मदद कर सकती हैं.
हर्षिता ने 'हर्षिता प्रियदर्शिनी साइंस क्लब' (Harshita Priyadarshini Science Club) की स्थापना की, जिसके माध्यम से वह बीजों के संरक्षण और जैविक खेती के महत्व को लोगों तक पहुंचा रही हैं. इस क्लब के माध्यम से हर्षिता बच्चों और बड़ों को Biodiversity के महत्व और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर रही हैं.
वैश्विक मंच पर मिली पहचान
हर्षिता की इस पहल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. 2023 में उन्हें ग्लोबल सिम्पोजियम ऑन फार्मर्स राइट्स (Global Symposium on Farmers Rights 2023) में भाग लेने का मौका मिला, जिसका उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने किया था. इस मंच पर हर्षिता ने अपने कार्य को प्रस्तुत किया और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खिंचा.
हर्षिता का सपना है कि वह भविष्य में एक अग्रोनॉमिस्ट बने और किसानों को नई तकनीकों और देशी बीजों के उपयोग के बारे में जागरूक करे.