करोड़ों खर्च फिर भी महिलाओं के नहीं बदले हालात

केंद्र सरकार महिला सशक्तिकरण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही. बावजूद कुछ जिलों में महिलाओं के हालात नहीं बदले. सरकार ने खाते में पैसा पहुंचाया. समूह और रोजगार से जुड़े कामों को लेकर शासन के अफसर बेखबर हैं.केवल खानापूर्ति तक कागज़ सिमित रह गए.

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Unemployment in Kanpur

सिलाई करती हुई समूह की महिलाएं (Image: Social Media)  

UP के Kanpur जिले में self help group  को लेकर अच्छे हालात नहीं हैं. मॉनिटरिंग के आभाव में अब प्रशासन यह बताने की स्थिति में भी नहीं रहा आखिर किस रोजगार से महिला जुड़ी और समूह को दिया लोन कितना जमा हुआ.यहां तक कि शुरुआत में मिलने वाली आर्थिक मदद को लेकर भी महिलाओं से कोई सवाल जवाब नहीं.

समूह पर खर्च 55 करोड़ रुपए का कोई हिसाब नहीं 

कानपुर जिले से चौंकाने वाली ख़बर है. National Rural Livelihood Mission ने कानपुर जिले के सभी self help group को पिछले पांच साल में  5 हज़ार 689 समूहों को करीब 55 करोड़ 74 लाख रुपए दिए. बताया जा रहा केवल 10 समूह ही अपना कारोबार छोटा-मोटा शुरू कर सके. बताया जा रहा बाकि समूह की महिलाओं या उनके परिजनों ने यह सहायता की राशि अपने खुद के कामों पर खर्च कर दी.

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कुछ समूह  सिलाई  का काम कर रहे  (Image Credits: Amar Ujala) 

Ajeevika Mission के रिकॉर्ड में साल 2019 से 2023 तक जिले में 6 हज़ार 222 समूह बनाए गए। इसमें 5 हज़ार 689 समूहों को Revolving Fund RF के तहत 56 करोड़ 89 लाख रुपए और 5 हज़ार16 समूहों को Community Investment Fund (CIF) के तहत 55 करोड़ 17 लाख रुपए जारी किए. इसका कोई क्लियर हिसाब नहीं हैं. 

कागज़ों पर दिख रहे अचार-मुरब्बा और पशु पालन!

NRLM के अधिकारियों द्वारा तैयार कागज़ों पर समूह के रोजगार के नाम पर अचार-मुरब्बा और पशु पालन तो लिखे हैं. पर  धरातल पर कोई रिकॉर्ड नहीं. लगभग साढ़े ग्यारह सौ से अधिक समूह की महिलाओं को तो पशु पालक बताया.इसके अलावा ब्यूटी पॉर्लर, सिलाई, सब्जी मसाला जैसे कारोबार से जुड़ा बताया गया.

Self Help Group  की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह राशि दी गई. रिवॉल्विंग फंड के बाद लगभग दस महीने कामकाज देखने के बाद बैंक CIF की लगभग 1 लाख दस हज़ार रुपए की राशि कारोबार बढ़ने के लिए देती है.

इसका भी कोई खुलासा नहीं है.

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कुछ समूह इस तरह तैयार कर रहे आचार (Image: Raviavr Vichar)

दस समूह जरूर बढ़िया काम कर रहे जो धरातल पर हैं.इनकी कमाई 2 लाख रुपए सालाना हो रही. ये महिलाएं 

अचार-मुरब्बा,स्ट्राबेरी उत्पादन,लेदर लुक जैकेट,अगरबत्ती बनाना,मिट्टी से मूर्ति बनाना,स्कूल बैग जैसे रोजगार से कमाई कर रहीं. इस हिसाब से साढ़े पांच हज़ार से ज्यादा समूह के पास काम नहीं है.अधिकारियों का का कहना है अब  SHG को फंडिंग ऑनलाइन की जा रही. समूह वापस लोन की राशि कैसे लौटा रहे यह रिकॉर्ड नहीं है.

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