छत्तीसगढ़ के Bhilai की रहने वाली Chitrarekha Sahu ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए घर में सिलाई के साथ self help group बनाया.नया काम शुरू किया जूट मटेरियल से बैग्स बनाने का. Ajeevika Mission का साथ मिला और मार्केटिंग की जगह बनने लगी.
भिलाई में बनी नई पहचान Jute Bags वाले दीदी
एक कमरे में गुमनाम सिलाई करने वाली चित्ररेखा साहू ने हिम्मत दिखाई और नया रास्ता चुना. देखते ही देखते चित्ररेखा बताती है-"मैं राधा रानी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी.शुरू में परेशानी हुई. हम दस महिलाओं का यह समूह है. जूट का रॉ मटेरियल की तलाश की.मैंने ऑनलाइन पश्चिम बंगाल से मंगवाया.और बैग्स बनाने शुरू किए. यह बैग्स लोगों को पसंद आने लगे.अब मैं 80 रुपए से 400 रुपए तक के बैग्स बनाती हूं.क्राफ्ट मार्केट सहित लोकल मार्केट में बेचती हूं."
भिलाई में जूट बैग बनाते हुए चित्ररेखा (Image: Ravivar Vichar)
केवल एक साल में यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही.भिलाई नगर की कई संस्थाओं ने चित्ररेखा को सम्मानित किया. इसमें chamber of commerce ने और महिला दिवस पर भी दूसरी संस्था ने सम्मानित किया.
3 हज़ार महिलाओं को जोड़ बनी मिसाल
Bhilai Nagar Palika के तहत NULM ने राधा-रानी समूह को और मौका दिया. चित्ररेखा को CRP बनाया. चित्ररेखा आगे बताती है-"मुझे Cluster Resource Person बनाया.मैंने लगभग 300 SHG समूह बना कर 3 हज़ार महिलाओं को समूह से जोड़ा.यह महिलाएं अब रोजगार से जुड़ कर अपनी आय बढ़ा रहीं. मुझे ख़ुशी है कि 30 महिलाओं को मुझे Jute Bags बनाने की ट्रेनिंग देनी है."
सामाजिक संस्था द्वारा सम्मानित होते चित्ररेखा साहू (Image: Ravivar Vichar)
National Urban Livelihood Mission की City Mission Manager (CMM) Ekta Pachori कहती हैं-"हमें ख़ुशी है इस इलाके में महिलाएं घर से निकल कर आत्मनिर्भर बनने को उत्सुक हैं. हम self help group को training और marketing सुविधा उपलब्ध करवा रहे. चित्ररेखा जैसी महिला हमारे लिए मिसाल है."
समूह की सदस्य से चर्चा करते CMM Bhilai एकता पचोरी (Image: Ravivar Vichar)
भिलाई नगर में स्टील प्लांट्स होने के कारण भी समूह की महिलाओं को मार्केटिंग की गुंजाइश बनी रहती है. मार्ट और प्रदर्शनियों में भी समूह की महिलाएं हिस्सा ले रही.