आज के आधुनिक युग में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं रोजगार के नए-नए अवसर ढूंढ रही है. इस मुहीम ने गांव की महिलाओं के लिए नए रोजगार के रास्ते खोल दिए है, इसका नाम है " आजीविका वाहन." यह एक स्वरोजगार की पहल है, जिसके माध्यम से गांव में SHGs से जुड़ी महिलाओं (SHG women) ने खुद को रोजगार की समस्या से मुक्त कर लिया है. ऐसी ही एक कहानी है, देवास (Dewas) के संस्कार संकुल संगठन चापड़ा से जुड़े सेल्फ हेल्प ग्रुप (self help group) की, जहां समूह की महिलाओं ने सामूहिक CLF लोन (CLF Loan) लेकर वाहन ख़रीदा है, जिसमे वह आजीविका विरय उत्पाद (Livelihood Products) जैसे दाल मसाला, चाय पत्ती और घरों में रोजाना उपयोग होने वाली वस्तुओं को इकट्ठा कर अलग-अलग संकुल में थोक में बेचती है.
SHG महिलाएं घर-घर पहुंचा रहीं रोजमर्रा के सामान
आमतौर पर देखा जाये, तो आज भी गांव के घरों में उपयोग होने वाली रोजमर्रा की अधिकतर चीज़े उपलब्ध नहीं हो पाती है. इसके लिए गांव के लोगों को शहर या गांव से दूर बाजार, सामान लेने जाना पड़ता है. उनके पास वाहन की सुविधा न होने से बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बारिश के दिनों में बाजार से सामान लाना बहुत मुश्किल का काम बन जाता है. इन्हीं समस्याओं का हल कर रही है, देवास के Self Help Groups की महिलाएं, अलग-अलग गांव के संकुलों में रोजाना उपयोग होने वाले सामानों को उपलब्ध करा कर. यह पहल गांव के लोग, खासतौर पर बुजुर्गों के लिए राहत के रूप में सामने आई है, अब उन्हें आसानी से हर सामान, गांव की दुकानों में ही उपलब्ध हो जाता है. आजीविका वाहन से गांव के लोगों को राहत और समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है.
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आजीविका वाहन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए रोजगार की पहल है, जो SHGs महिलाओं को नए राश्ते दिखा रही है. इसके माध्यम से समूह की महिलाएं रोजगार की समस्या से मुक्त होने के साथ दिन-प्रतिदिन आगे की ओर बढ़ रहीं है. अपने सफल प्रयास आजीविका वाहन के साथ और भी नए व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित हो रही है. देवास के shg महिलाओं की यह कहानी और भी अन्य महिलाओं को प्रेरित करती है, की कैसे अब महिलाएं कोई भी काम आसानी से शुरू कर सकती है. अपने निरंतर प्रयासों से आज SHG महिलाएं, आत्मनिर्भर, सशक्त और आर्थिक आज़ादी पा कर समाज में अपनी नई पहचान कायम कर रहीं है.