माइक्रोफायनेंस महिलाओं को आर्थिक आज़ादी (financial freedom) हासिल करने में मदद कर देश की अर्थव्यवस्था (economy) में उनकी भूमिका को बढ़ावा दे रहा है. इस वजह से देशभर में कई ऐसी पहलें की जा रही है जिससे माइक्रोफायनेंस (micro finance) को बढ़ावा मिले.
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AKMI ने किया 'द माइक्रोफाइनेंस कर्नाटक समिट - 2023' का आयोजन
इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए, एसोसिएशन ऑफ कर्नाटक माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (AKMI) ने कर्नाटक में माइक्रोफाइनेंस उद्योग (microfinance industry in Karnataka) के विकास पर चर्चा करने के लिए 'द माइक्रोफाइनेंस कर्नाटक समिट - 2023' (microfinance karnataka summit 2023) का आयोजन किया.
समिट के दौरान नाबार्ड (NABARD) के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक एन. श्रीनिवासन (Former Chief General Manager N. Srinivasan) द्वारा लिखी किताब 'कर्नाटक में माइक्रोफाइनेंस - सेक्टर रिपोर्ट 2023' (Microfinance in Karnataka - Sector Report 2023) लॉन्च की गई. बुक लॉन्च कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर (Karnataka Home Minister Dr. G. Parameshwara) द्वारा किया गया. उन्होंने माइक्रोफाइनेंस (microfinance) उद्योग के नेताओं और विशेषज्ञों को भी संबोधित किया.
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इम्पैक्ट स्टडी रिपोर्ट (impact study report) के लॉन्च के बाद पैनल चर्चा हुई, जिसमें कर्नाटक में माइक्रोफाइनेंस (microfinance in Karnataka) के विकास, नवाचार और भविष्य की संभावनाओं पर उद्योग विशेषज्ञ शामिल रहे. सर्वेक्षण में कर्नाटक के 7 जिलों को शामिल किया गया, जिनमें हर जिले के 2300 माइक्रोफाइनेंस ग्राहक हिस्सा बनें.
इस इम्पैक्ट स्टडी (impact study) का लक्ष्य कर्नाटक में ढाई दशकों के माइक्रोफाइनेंस संचालन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव (Socio-economic impacts of microfinance operations) और ग्राहकों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझना था.
JLG और SHG के साथ माइक्रोफाइनेंस उद्योग में होगी 10% बढ़ोतरी
"जॉइंट लायबिलिटी ग्रुप्स (JLG) और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के ऋणों को ध्यान में रखते हुए, कर्नाटक में माइक्रोफाइनेंस उद्योग का वर्ष 2022-23 के दौरान 10% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो करीब 46,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. AKMI का लक्ष्य ग्राहक सुरक्षा सुनिश्चित करना, सभी हितधारकों और सहायक सदस्यों के साथ मजबूत संबंध बनाना और ज़मीनी स्तर पर लोगों से जुड़कर स्थानीय मुद्दों को सुलझाना है,'' AKMI के अध्यक्ष वेंकटेश एन (Vekatesh N. Chairman AKMI) ने बताया.
सा-धन (Sa- Dhan) के आंकड़ों के अनुसार, भारत के माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र ने 2022-23 के दौरान 21% की समग्र पोर्टफोलियो बढ़ोतरी दर्ज की. माइक्रोफाइनेंस उद्योग के लिए ऋण खातों की संख्या वित्त वर्ष 2013 में बढ़कर 136.3 मिलियन हो गई, जो वित्त वर्ष 2012 में 123.9 मिलियन थी, जो साल-दर-साल 10% की बढ़ोतरी दर्ज कर रही है.
ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक विकास में माइक्रोफाइनेंस निभा रहे अहम भूमिका
माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों (rural areas) में रहने वाली 10 से 15 प्रतिशत आबादी को सेवा प्रदान करने की क्षमता है और भविष्य में 30 प्रतिशत आबादी तक सेवा प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की संभावना है. ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक विकास में माइक्रोफाइनेंस अहम भूमिका निभा रहा है (role of microfinance in rural development in Hindi). एमएफआई (MFI) न सिर्फ ऋण प्रदान करते हैं बल्कि वंचित समुदाय के लोगों को भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की मुख्यधारा में लाते हैं.
भारत में वित्तीय समावेशन (financial inclusion) ही समावेशी विकास (Overall development) का रास्ता है. शहरी और ग्रामीण भारत में गरीब और कम आय वाले परिवारों को वित्तीय सेवाएं (financial Services in rural India) प्रदान करने में माइक्रोफाइनेंस संस्थान (microfinance institutions) बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. लगभग 46,000 करोड़ रुपये के बकाया ऋण पोर्टफोलियो (loan portfolio) वाले 2.67 करोड़ से ज़्यादा परिवारों तक पहुंचने में, अर्थव्यवस्था में माइक्रो फाइनेंस उद्योग का योगदान अहम रहा है.