एशियाई पैरा खेलों में आर्चर Sheetal Devi ने जीते 3 पदक

जम्मू-कश्मीर की शीतल का जन्म फ़ोकोमेलिया सिंड्रोम के साथ हुआ था. 16 साल की उम्र में बिना हाथ की तीरंदाज शीतल देवी ने हाल में हुए एशियाई पैरा खेलों में 3 पदक जीते.

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मिस्बाह
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Image: Ravivar Vichar

शीतल देवी (para archer Sheetal Devi) वह नाम है जिसने दुनिया को बताया है कि हौसले मज़बूत हों, तो नामुमकिन को भी मुमकिन बनाया जा सकता है. जम्मू-कश्मीर की शीतल का जन्म फ़ोकोमेलिया सिंड्रोम के साथ हुआ था. 16 साल की उम्र में बिना हाथ की तीरंदाज शीतल देवी ने हाल में हुए एशियाई पैरा खेलों में 3 पदक जीते.

एथलीट्स से मिली इंस्पिरेशन 

बचपन से ही वह एथलीटों में अपनी प्रेरणा खोजती और उनके जैसा बनने का सपना देखती. शीतल देवी ने अपनी तीरंदाजी यात्रा कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में पैरा-तीरंदाज ट्रेनिंग के साथ शुरू की (Sheetal Devi archery).

Archer Sheetal Devi

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“शुरुआत में तो मैं धनुष ठीक से उठा भी नहीं पाती थी. लेकिन, कुछ महीनों तक अभ्यास करने के बाद, यह आसान हो गया.” शीतल ने इंटरव्यू के दौरान बताया.

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में जीते कई मेडल्स 

शीतल देवी ने हर दिन 50 से 100 तीरों के साथ अभ्यास करना शुरू किया और जल्द ही, वह प्रतिदिन 300 तीर चलाने लगी. वह टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेने लगी और जीत की मानों उन्हें आदत हों गई. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लेवल के खेलों में वह कई मेडल्स जीत चुकी है.  

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Image Credits: m.rediff.com

प्रधान मंत्री मोदी (PM Modi) ने शीतल देवी को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी और उनकी मेहनत और डेडिकेशन की सराहना की. PM मोदी ने कहा कि उनकी सफलता भारत के युवाओं की अदम्य भावना और देश के भीतर मौजूद क्षमता के प्रमाण के रूप में काम करती है.

शीतल देवी एशियाई पैरा खेलों में जीत हासिल करने वाली पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज बनी और इतिहास रच दिया. शीतल का कहना है कि उन्होंने अपनी विकलांगता को बोझ नहीं प्रेरणा में बदला है. 

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