जैसलमेर में बनी महिला जवानों के लिए BSF की पहली ‘exclusive’ चौकी

दुनिया की सबसे बड़ी अर्धसैनिक बल (paramilitary force), भारतीय बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (Indian Border Security Force BSF) ने महिलाओं के समावेशन की ओर एक और कदम बढ़ाया है, जिसमें देश की सीमाओं की सुरक्षा का ज़िम्मा अब महिला जवानों को सौंपा जा रहा है.

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विधि जैन
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BSF first outpost exclusively for female jawans in Jaisalmer

Image - Ravivar Vichar

दुनिया की सबसे बड़ी अर्धसैनिक बल (paramilitary force), भारतीय बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (Indian Border Security Force BSF) ने महिलाओं (BSF female officers) के समावेशन की ओर एक और कदम बढ़ाया है, जिसमें देश की सीमाओं की सुरक्षा का ज़िम्मा अब महिला जवानों को सौंपा जा रहा है. जैसलमेर (Jaisalmer) के शाहगढ़ बल्ज (Shahgarh Bulge) क्षेत्र में, भारत की पहली सीमा चौकी (Border Outpost BOP) की स्थापना की गई है, जिसमें केवल महिला जवान तैनात की गई हैं.

इस अनोखी पहल का मकसद सिर्फ सीमा सुरक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि यह भी साबित करना है कि महिला जवान अपने पुरुष सहयोगियों के बराबर काम कर सकती हैं. इस बात की पुष्टि तो सीमा चौकियों की सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेने के बाद BSF के महानिदेशक, नितिन अग्रवाल (BSF DG Nitin Agrawal IPS) भी कर चुके हैं.

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महिला जवानों की बढ़ती संख्या देखते हुए बनाई यह चौकी

IPS Nitin Agrawal बताया कि

"महिला जवानों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए, उनके लिए अलग से चौकियां बनाने की योजना का प्रस्ताव पारित किया गया. जैसलमेर सेक्टर साउथ (Jaisalmer Sector South) में शाहगढ़ बल्ज (Shahgarh Bulge) में नलका में एक प्रायोगिक आधार पर महिला जवानों के लिए एक चौकी स्थापित की गई है. यदि यह प्रयोग सफल रहता है, तो इसे देश के शेष सेक्टरों में भी लागू किया जाएगा और बॉर्डर आउटपोस्ट (Border Outpost BOP) का प्रबंधन पूरी तरह से महिला जवानों द्वारा किया जाएगा."

भारतीय महिला जवान सीमा पर अडिग खड़ी हैं और देश की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे रही हैं. यह खबर निश्चित रूप से भारत में महिलाओं की सामर्थ्य को पहचानने और उन्हें देश की सीमाओं की सुरक्षा में अधिक ज़िम्मेदारियां सौंपने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है. महिला जवानों का यह उदाहरण ना केवल भारतीय समाज में लैंगिक समानता (gender equality) की दिशा में एक मिसाल कायम करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि सच्चा साहस और क्षमता किसी लिंग विशेष से बंधे नहीं होते.

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