किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए इच्छाशक्ति का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है. अगर आपके अंदर किसी कार्य को करने की मज़बूत इच्छाशक्ति और इरादें हैं, तो आप किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं. ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण है राजस्थान (Rajasthan) की Deepesh Kumari, जिन्होंने अपनी दृढ़ संकल्प और मेहनत से न सिर्फ अपने सपनों को पूरा किया, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी बनीं.
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आर्थिक स्थिति ख़राब, फिर भी crack किया UPSC
दीपेश कुमारी (IAS Deepesh Kumari) का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता सड़क पर चाट-पकौड़ियों का ठेला लगाते थे. परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होने के बावजूद दीपेश ने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ-साथ अपने सपनों को भी पंख दिए. दीपेश का लक्ष्य था कि वह अपने पैरों पर खड़ी होकर अपने परिवार और समाज का नाम रोशन करें.
दीपेश कुमारी (Deepesh Kumari) ने एक साल तक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम किया, फिर UPSC परीक्षा (UPSC Exam) की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी. उन्हें UPSC के first attempt में निराशा हाथ लगी. किन्तु उन्होनें इसे एक हार की तरह लेने के बजाय एक challenge के तौर पर लिया और अपने अगले attempt की तैयारी में जुट गई. अपने दूसरे attempt में उन्होंने सफलता हासिल की और UPSC में 93वें स्थान के साथ IAS बन गई.
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सपने के आगे चुनौतियों ने भी मानी हार
दीपेश के जीवन में अनेक चुनौतियां आईं. आर्थिक तंगी, सामाजिक दबाव और पारिवारिक जिम्मेदारियों ने उन्हें कई बार तोड़ने की कोशिश की, परंतु उनकी इच्छाशक्ति ने उन्हें कभी हार मानने नहीं दी. दीपेश ने अपने कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प से सभी बाधाओं को पार किया.
आज, दीपेश कुमारी (Deepesh Kumari) समाज की सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं. उन्होनें अपने कार्यों से यह साबित किया कि नारीशक्ति का कोई मुकाबला नहीं है.
दीपेश कुमारी की कहानी केवल एक महिला की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह नारीवाद के उस सिद्धांत की भी झलक है, जिसमें महिलाएं अपने अधिकारों के लिए खड़ी होती हैं और समाज में समानता की अगुवाई करती हैं.
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