कई ऐसे IAS अफसर आते हैं जो सामुदायिन विकास (community development) को सिर्फ अपनी ड्यूटी नहीं, कर्तव्य भी समझते हैं. ऐसी ही एक IAS अफसर है अनिंदिता मित्रा.
NULM ने किया चंडीगढ़ नगर निगम की नगर आयुक्त के साथ सहयोग
सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाकर IAS अधिकारी अनिंदिता मित्रा (IAS Officer Anindita Mitra), चंडीगढ़ को अधिक हरा-भरा, स्वच्छ और ईको-फ्रेंडली (eco-friendly chandigarh) शहर बना रही हैं. अनिंदिता, चंडीगढ़ नगर निगम की नगर आयुक्त के रूप में काम कर रही है. उन्होंने 'रीसाइक्लिंग' और 'रीयूसिंग' को बढ़ावा देने के लिए उससे जुड़े कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व किया है.
'बर्तन भंडार' परियोजना से कम होगा प्लास्टिक इस्तेमाल
'बर्तन भंडार' परियोजना के तहत, अनिंदिता मित्रा ने स्वयं सहायता समूह (self help groups in Chandigarh) की स्थापना के लिए राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के साथ सहयोग किया. इस स्वयं सहायता समूह (SHG) को बर्तन उपलब्ध कराये गये जिन्हें आगे चलकर शहर में होने वाले आयोजनों एवं समारोहों में किराये पर दिया जायेगा.
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“हमने शहर में होने वाले छोटे कार्यक्रमों या समारोहों के दौरान प्लास्टिक की प्लेटों, गिलासों और दूसरे बर्तनों के इस्तेमाल को कम करने के लक्ष्य से ऐसा किया. ऐसे आयोजनों में बर्तन किराए पर दिए जाते हैं और कार्यक्रम खत्म होने के बाद हम उन्हें वापस ले लेते हैं. इससे हमें प्लास्टिक के उपयोग और इसकी बर्बादी को कम करने में काफी मदद मिली है,” उन्होंने बताया.
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स्वच्छ सवारी करेगी पुराने कपड़े इकट्ठा
अधिकारी ने 'स्वच्छ सवारी' नाम से एक विशेष वाहन लॉन्च किया, जिसे घर-घर से पुराने घरेलू सामान जैसे पुराने कपड़े इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. फिर इकट्ठा किये गए पुराने कपड़ों को उनकी इकाई 'नया सा' स्वयं सहायता समूह को दे दिया जाता है. समूह कपड़ों को धोता है, सिलाई या मरम्मत करता है और लगभग नए दिखने वाले इन कपड़ों को बेचता है.
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“इन कपड़ों की कीमत सीमा 1-50 रुपये के बीच है. कोई भी व्यक्ति स्टोर में जाकर मामूली दर पर इन्हें खरीद सकता है. इससे कपड़ों की रीसाइक्लिंग होती है और उन्हें डंपिंग ग्राउंड में जाने से बचा लिया जाता है.” मित्रा ने साझा किया.
प्रोजेक्ट अर्पण से रीसायकल होगा फूलों का कचरा
IAS अधिकारी अनिंदिता मित्रा ने सभी धार्मिक स्थानों और फूल विक्रेताओं से फूलों का कचरा इकट्ठा करने के लिए परियोजना 'अर्पण' शुरू की जिसे स्वयं सहायता समूह को ट्रांसफर कर दिया जाता है. SHG को इस कचरे से दीया, बत्ती और अगरबत्ती बनाने के लिए दिल्ली और मुंबई के संस्थानों के प्रशिक्षकों द्वारा उचित रूप से प्रशिक्षित किया गया है.
उन्होंने साझा किया, "इस परियोजना का नाम अर्पण रखा गया है क्योंकि हम इन फूलों से भगवान को अगरबत्ती और दीये अर्पित करते हैं."
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परियोजना प्रारंभ से मिला SHG के उत्पादों को मंच
प्रोजेक्ट प्रारंभ के तहत, नगर निगम द्वारा एक बड़ी दुकान खोली जाती है जिसमें विभिन्न स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित सभी रीसाइकल्ड प्रोडक्ट्स को प्रदर्शित किया जाता है और बिक्री के लिए रखा जाता है. कपड़े के थैले, धूल झाड़ने वाले कपड़े, पोछा आदि उन कुछ चीजों में से हैं, जो रीसाइकल्ड कपड़ों से बने होते हैं जो स्टोर में बेचे जाते हैं.
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“हम इन्हें सरकारी कार्यालयों में भी इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा, हम वहां कंपोस्टेबल बैग भी रखते हैं, जो प्लास्टिक बैग की तरह दिखते हैं और काम करते हैं लेकिन वास्तव में प्लास्टिक नहीं होते हैं. प्रारंभ लोगों के लिए एक वन-स्टॉप शॉप की तरह है, जहां से वे सभी प्रकार के रीसाइकल्ड सामान खरीद सकते हैं,'' मित्रा ने बताया.
RRR स्टोर दे रहा रिड्यूस, रीयूज, रीसायकल को बढ़ावा
अनिंदिता मित्रा ने 'मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर' अभियान के तहत परमानेंट स्टोर लॉन्च किया, जिसे RRR (रिड्यूस, रीयूज, रीसायकल) नाम से जाना जाता है. पुराने सामान और वस्तुएं जनता से एकत्र की जाती हैं और शहर के विभिन्न आरआरआर केंद्रों तक पहुंचाई जाती हैं. शहरवासी स्वच्छ सवारी वाहनों की मदद से इन केंद्रों पर घरेलू सामान दान कर सकते हैं.
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इसके बाद निगम शहर एक दिवसीय 'रुपी स्टोर' खोलता है, जहां क्षेत्र के सभी लोगों को सामान उपलब्ध कराया जाता है, जो एक आधार कार्ड के बदले प्रति आइटम 1 रुपये दे सकते हैं और अपनी कोई भी पांच वस्तुएं दूकान से चुन सकते हैं.
IAS अधिकारी अनिंदिता मित्रा की लीडरशिप की वजह से चंडीगढ़ में सकारात्मक और सस्टेनेबल बदलाव आ रहा है. इन अनोखी पहलों के ज़रिये, उन्होंने न सिर्फ पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया है बल्कि स्वयं सहायता समूहों में शामिल कई महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं. सस्टेनेबल विकास और समुदाय-संचालित परिवर्तन की दिशा में बढ़ने की चाह रखने वाले शहरों के लिए IAS अनिंदिता मित्रा के प्रयास प्रेरणा और उदाहरण हैं.