महिला SHGs को आज किसी introduction की ज़रूरत नहीं है. वे आज खुद में इतनी सक्षम और आत्मनिर्भर बनती जा रहीं हैं कि उनसे प्रेरित होकर समाज भी आज modernity और Financial Freedom की राह पर अपने कदम बड़ा रहा है. आज गर्व से हम दुनिया में बता सकते हैं कि हमारे देश में आज 1.2 Crore Self Help Group हैं, जिनमें 88% महिलाएं अपना योगदान दे रहीं हैं.
परंतु SHGs के products की उतनी बिक्री नहीं हो रही है क्योंकि self-help group की - ख़राब मार्केटिंग रणनीतियां, सदस्यों का अव्यवसायिक व्यवहार, उत्पाद एकरूपता का अभाव, वित्त को संभालने में ज्ञान की कमी, जाति का प्रभुत्व, जैसे कुछ कारण हैं जो आज SHGs की तरक्की में बाधा बनी हुई हैं.
इन्ही को पूर्ण रूप से सुधारने के लिए आज सरकार बहुत सारे steps ले रही हैं-
NRLM और IAS Association द्वारा तीन दिवसीय exhibition आयोजित
हाल ही में, SHGs को support करने के लिए NRLM ने Bengaluru के IAS Association के साथ मिलकर तीन दिन की exhibition का भी आयोजन किया. इस exhibition का प्रथम उद्देश्य SHGs के उत्पादों को बेचना है. राज्यभर से करीब 60 Self Help Group की महिला उद्यमिता प्रदर्शन में भाग ले रही हैं। मैसूर की लकड़ी की नक्काशी और खिलौनों से लेकर जैविक खाद्य उत्पादों और हैंडलूम साड़ियों तक, कई उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है.
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Rural Development Ministry ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Meesho के साथ साझेदारी की है. Meesho अपनी website पर Self help group की महिलाओं के उत्पाद showcase करेगा, जिससे deen dayal antyodaya yojana (National Rural Livelihood mission) के अंतर्गत SHGs द्वारा निर्मित उत्पादों को supreme marketing के ज़रिये पहचान मिलेगी.
National Rural Livelihood Mission (NLRM) और State Rural Livelihood Mission (SRLM) के सदस्य उद्यमियों ने साथ आकर Curated उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं. जैसे SHG members के products को Multiple channels जैसे Flipkart, GeM, Amazon और स्टेट चैनल्स जैसे Saras gallery के माध्यम से market में लाया जा रहा है.
आज, समाज और सरकार के साथ मिलकर काम करने से ही SHGs उच्चाईयों को छू सकती हैं और महिलाओं के इस प्रयास को सफल बना सकती हैं।