कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने हाल ही में उस याचिका (petition) को खारिज कर दिया जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal government) के स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के एक फैसले पर सवाल उठाया गया था. निर्णय में कहा गया कि स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) को ग्रामीण क्षेत्रों (rural areas) में 50 बिस्तरों तक के अस्पतालों (hospitals) में भोजन उपलब्ध (food supply) कराने की अनुमति नहीं है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया. अदालत ने फैसला लिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे अस्पतालों में भोजन की आपूर्ति करने वाले स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़े सरकार के फैसले को बदलने की कोई ज़रुरत नहीं है.
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जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य (Justice Sabyasachi Bhattacharya) की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि “ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय महिलाओं को रोजगार के अवसर देकर उनका सशक्तिकरण किसी भी तरह से गलत नहीं ठहराया जा सकता. निष्पक्ष और विनियमित प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की निगरानी ज़रूरी है. बिना किसी सुपरविशन के, भ्रष्टाचार, पक्षपात और संसाधनों के दुरुपयोग का खतरा बढ़ सकता है."
अदालत ने कहा कि स्वयं सहायता समूह संवैधानिक योजना है जो महिलाओं की सशक्तिकरण का लक्ष्य पूरा करने में मदद करता है. अस्पतालों में पके हुए भोजन के सप्लायर्स की नियुक्ति मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी (CMOH) द्वारा की जाएगी जिसमें जिला ग्रामीण विकास सेल (DRDC) के परियोजना निदेशक उनकी मदद करेंगे. CMOH, योग्य चिकित्सा अधिकारी होने के नाते, ऐसी नियुक्तियों के लिए एसएचजी की पात्रता (eligibility) तय करेंगे.
इस फैसले से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का मनोबल बढ़ा है और उन्हें ये आश्वासन मिला है कि उच्च न्यायालय उनके सशक्तिकरण की साथ है।