नेशनल ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट (NTRI) में इस बार International Women's Day का जश्न कुछ खास था. कारण था 'Aadi Vyakhyan Series - 5', जो कि जनजातीय महलाओं की उपलब्धिओं के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन था. इस मौके पर सभी को एक बार फिर भारत की 'विविधता में एकता' देखने मिली. जनजातीय महिलाओं की उल्लेखनीय उपलब्धियों का उत्सव मनाने वाले इस कार्यक्रम में कला, संगीत, साहित्य, खेल, हस्तशिल्प, आदि क्षेत्रों की लगभग 200 महिलाओं ने भाग लिया. इस आयोजन में असम, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, मिजोरम, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और दिल्ली से महिलाएं शामिल हुई.
महिलाओं के योगदान को मिला सम्मान
समारोह के आयोजन में जनजातीय समुदायों से आई महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित किया गया. इस विशेष दिन की शुरुआत tribal dance और tribal music से हुई, जिसने सभी के दिलों को छू लिया. लेकिन, सबसे ज्यादा भावुक क्षण वह था जब इन महिलाओं के योगदान को ध्यान में रखते हुए उन्हें सम्मानित किया गया.
समारोह में, NTRI के अध्यक्ष ने भारतीय जनजातीय समुदायों (Indian Tribal Communities) में महिलाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि कैसे जनजातीय महिलाएं अपने समुदायों में और पूरे देश में भी बदलाव ला रही हैं. उन्होंने जनजातीय कला, संस्कृति, शिक्षा, और व्यवसाय में महिलाओं के योगदान की सराहना की.
महिलाओं ने सुनाई अपनी सफलता की कहानियां
सम्मेलन के दौरान, कई सफल महिलाओं ने अपनी कहानियां साझा कीं. पद्मश्री विजेता दुर्गा बाई व्याम (Padma Shri Durga Bai Vyam) ने गोंड पेंटिंग (Gond Painting) में अपने योगदान के बारे में बताया, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. उनकी कहानी ने सभी को यह सिखाया कि संस्कृति और कला के प्रति सच्ची लगन से किसी भी समुदाय की पहचान को पूरे विश्व में उजागर किया जा सकता है.
Odisha की जानी-मानी किसान और 'मिलेट्स की रानी' के नाम से प्रसिद्ध रैमती घिउरिया (Queen of Millets - Raimati Ghiuria) ने अपने अनूठे खेती के प्रयोगों और मिलेट्स के प्रति अपने अदम्य प्रेम को साझा किया. उनकी कहानी ने अन्य किसानों को प्रेरित किया कि कैसे परंपरागत खेती को नवाचार के साथ जोड़कर बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है.
डॉ. अंजु मीना (Dr. Anju Meena) ने अपने खेल के प्रति जुनून और समर्पण की कहानी सभी को बताई. अंजु एक अंतरराष्ट्रीय बॉडी बिल्डिंग और पावर लिफ्टिंग एथलीट हैं और नेशनल लेवल पर स्वर्ण पदक विजेता हैं. उनकी कहानी यह बताती है कि मजबूत इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है.
इन्ही में एक और नाम है प्रियंका, जो कि एक राष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी हैं. उन्होंने अपने खेल और टीम वर्क के प्रति समर्पण की गाथा सुनाई. उनकी कहानी सभी को सिखाती है कि कैसे एक साथ मिलकर हम एक दूसरे की मदद और सहयोग से बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना कितनी आसानी से कर सकते हैं.
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लद्दाख ने बिखेरे अपने पारंपरिक कला के रंग
इस मौके पर लद्दाख (Ladakh) ने भी लोगों को मंत्रमुग्ध करने का मौका नहीं जाने दिया. लद्दाख के जनजातीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नृत्य प्रदर्शन ने समारोह को और भी अधिक रंगीन बना दिया. उनके अनूठे नृत्य रूप ने उनकी संस्कृति की विविधता और समृद्धि को प्रदर्शित किया. इसके साथ यह भी दर्शाया कि किस प्रकार शिक्षा के प्रति जागरूकता को भी कला के माध्यम से फैलाया जा सकता है. यह प्रदर्शन मनोरंजन प्रदान करने के साथ ही एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है कि किस प्रकार पारंपरिक कला और संस्कृति को बचाया और प्रचारित किया जा सकता है.
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इस आयोजन ने समाज में महिलाओं के सशक्तीकरण और उनकी उपलब्धियों को पहचानने की आवश्यकता को भी उजागर किया. Tribal communities की इन सफल महिलाओं की कहानियां ना सिर्फ उनके समुदायों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. उनकी सफलताएं यह साबित करती हैं कि संघर्ष के बावजूद, दृढ़ संकल्प और एक दूसरे के समर्थन के साथ, महिलाएं किसी भी क्षेत्र में शिखर तक पहुंच सकती हैं.
नेशनल ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट (NTRI) द्वारा आयोजित यह राष्ट्रीय सम्मेलन केवल जनजातीय महिलाओं के लिए एक मंच ही प्रदान नहीं करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे उनकी उपलब्धियां पूरे समाज को प्रेरित कर सकती हैं. इस कार्यक्रम से यह तो स्पष्ट है कि सशक्तिकरण, समर्थन और एकजुटता के माध्यम से, हम सभी अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं और समाज के लिए एक बेहतर कल बना सकते हैं.
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