रंगीन गोंड कला (Gond Art) ने पारंपरिक कैनवस (traditional canvas) को पार कर शहरी क्षेत्रों (urban areas) में भी अपनी जगह बना ली है. इस कल्चरल मिक्स (cultural mix) का हालिया उदाहरण है गोंड कलाकारों (Gond artists) और फैबइंडिया (Fabindia) का कोलैबोरेशन. फैब इंडिया एक प्रसिद्ध भारतीय ब्रांड (Indian brand) है जो भारतीय कलाओं को बढ़ावा देती है.
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पायल ने फैबइंडिया आउटलेट की दीवारों को सजाया गोंड कला से
फैबइंडिया (FabIndia) ने भारतीय हेंडीक्राफ्ट (handicraft) और पहनावे को बढ़ावा देने के साथ, अपने स्टोरों में लोकल कला की ख़ूबसूरती को जोड़ने के लिए म्यूरल आर्टिस्ट पायल (Mural artist Payal) के साथ हाथ मिलाया. पायल फैबइंडिया के 3 स्टोर्स को अपनी कला से सजा चुकी है. उन्होंने फैबइंडिया आउटलेट (FabIndia outlet wall painting) की दीवारों को गोंड कला से सजाया.
फाइनल रिजल्ट काफी शानदार रहा. फैबइंडिया स्टोर की दीवारें गोंड कला के रंगों से जीवित हो उठीं. इसका मकसद सिर्फ दीवारों को सजाना नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध जनजातीय विरासत (tribal heritage) को सराहना भी है.
गोंड कला की जड़ें गोंडी जनजाति में पाई जाती हैं
गोंड कला (Gond art) की जड़ें गोंडी (about Gond art in Hindi) जनजाति में पाई जाती हैं, जो मुख्य रूप से मध्य भारतीय राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ हिस्सों में रहती हैं. यह कला शैली पीढ़ियों से चली आ रही है.
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गोंड लोगों का प्रकृति (nature) और ब्रह्मांड के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध है, जो उनकी कला में झलकता है. गोंड कलाकार अपने दैनिक जीवन, रीति-रिवाजों और प्रकृति के साथ संबंध का जश्न मनाने के लिए अपने घरों की दीवारों पर कहानियों को चित्रित करते हैं. गोंड कला (What is Gonda art?) में पशु, पक्षी और पौधे दिखाई देते हैं.
फैबइंडिया का गोंड कला को चुनना स्वदेशी कला को संरक्षित (preserving Gond art) करने और उसे बढ़ावा देने की ओर एक अहम कदम है. तेजी से आधुनिक होती दुनिया में, गोंड जैसे पारंपरिक कला के गुम होने का खतरा है. इस तरह के कोलैबोरेशन न सिर्फ आर्टिस्ट को कैनवास दे रहे हैं, बल्कि लोकल आर्ट (local art) को भी बढ़ावा दे रहे हैं.