' रिशा ' बनेगा प्रीमियम GI Tag से

'रिशा' को भौगोलिक संकेत (जीआई) पंजीकरण प्रदान किया गया है, GI Tag से 'रिशा' को नयी पहचान और भविष्य दोनों मिलेगा. GI Tag यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता बनी रहे और नकल से भी बचा रहे.

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शिवरंजिनी देवांगन
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Image - Ravivar Vichar

'रिशा' त्रिपुरा (Tripura) के समुदायों द्वारा पहने जाने वाले रंगीन और जटिल हथकरघा से बना कपड़ा है . बुनाई की इस अनोखी कला को त्रिपुरी, रियांग, जमातिया, नोआतिया और राज्य की अन्य जनजातियों की महिलाएं करती है. त्रिपुरा के पारंपरिक परिधान जैसे रिग्नाई, रिकुतु और रिस्वम इस हथकरघा कला से बनते है. इन कपड़ो को उत्सवों और समारोह पर पुरुष और महिला दोनों पहनते है. 'रिशा' (Risha) अपने जीवंत रंगों, जोमेट्रिक पैटर्न और सांस्कृतिक रूपांकनों के लिए जाना जाता है,  जो राज्य की समृद्ध विरासत और विविधता को दर्शाते है.

'रिशा' को मिलेगी नई पहचान

'रिशा' को भौगोलिक संकेत (जीआई) पंजीकरण प्रदान किया गया है, GI Tag से 'रिशा' को नयी पहचान और भविष्य दोनों मिलेगा. साथ ही इसके स्टैण्डर्ड और गुणवत्ता दोनों की रक्षा होगी. जीआई टैग Tripura Rural Livelihood Mission (TRLM) और नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) के सहयोग से, ट्रियर के गोमती जिले के किला महिला Cluster Level Federation (CLF) को मिला है.

इस CLF में महिला बुनकरों के 20 स्वयं सहायता समूह (Women Self Help Groups) शामिल है. इनको टीआरएलएम और NABARD ने मिलकर प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया. 2022 में जीआई पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया. इस प्रक्रिया में जीआई रजिस्ट्री के समक्ष उत्पाद का दस्तावेज़ीकरण, सत्यापन और प्रस्तुति शामिल थी. CLF ने सुनवाई प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने और जीआई मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक तकनीकी एजेंसी भी बनाई.

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Image Credits - NABARD

देशभर में NABARD दे रहा जीआई उत्पादों को बढ़ावा

NABARD Tripura आरओ के जीएम/ओआईसी लोकेन दास ने CLF और टीआरएलएम को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और कहा कि NABARD देश भर में जीआई उत्पादों को बढ़ावा देने में सहायता कर रहा है. उन्होंने कहा कि NABARD ने 2022-23 में रिसा, पसरा और माताबारी पेड़ा के लिए जीआई पंजीकरण प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की. 2023-24 में जम्पुई हिल्स के संतरे, स्पाइन लौकी, साबरी केला, काजू और चावल की विभिन्न किस्मों सहित 10 और उत्पादों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है. उन्होंने कहा कि जीआई टैग उत्पादों की विपणन क्षमता और मूल्यवर्धन को बढ़ाने के साथ-साथ उनकी प्रामाणिकता और उत्पत्ति को संरक्षित करने में मदद करते है.

'रिशा' के जीआई पंजीकरण से बुनकरों की आय और आजीविका के साथ-साथ राज्य के गौरव और पहचान को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. जीआई टैग के साथ, रिशा अब घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों व्यापक बाजारों तक पहुंच बना सकता है और प्रीमियम कीमत हासिल कर सकता है. जीआई टैग यह भी सुनिश्चित करता है कि उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता बनी रहे और नकल से भी बचा रहे.

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